उत्तान आसन: शरीर और मन को जोड़ने वाला योग, जानें इसके लाभ और विधि
नई दिल्ली: योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि शरीर और मन को एक साथ जोड़ने का बेहद आसान तरीका है। यह हमें स्वस्थ रहने के साथ-साथ मानसिक शांति भी देता है। योग का अभ्यास करने से हमारी ऊर्जा बनी रहती है और हम दिनभर ताजगी महसूस करते हैं। इसी योग के कई आसनों में से एक है 'उत्तानासन,' जो शरीर को मजबूत और दिमाग को तरोताजा करता है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के मुताबिक, उत्तानासन योग का एक ऐसा आसन है जो शरीर के कई हिस्सों को स्ट्रेच करता है। जो लोग लंबे समय तक बैठे रहते हैं या कंप्यूटर पर काम करते हैं, उनके लिए यह आसन बहुत फायदेमंद साबित होता है। यह आसन शरीर के कई हिस्सों में खिंचाव लाकर मांसपेशियों को आराम देता है और खासतौर पर पिंडली, जांघ, कमर और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
उत्तान आसन के प्रमुख लाभ
- मानसिक तनाव कम करता है: उत्तानासन योग का अभ्यास दिमाग को शांत करने में मदद करता है। जब हम इस आसन को करते हैं, तो शरीर के निचले हिस्से से खून दिमाग की तरफ तेजी से जाता है। इससे दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है, जो मानसिक तनाव को कम करने में मदद करती है। यह आसन चिंता और हल्के अवसाद के लक्षणों को भी कम करने में सहायक हो सकता है।
- सिरदर्द और अनिद्रा में लाभकारी: इस आसन को करते समय जब हम अपने शरीर को आगे झुकाते हैं, तो इससे मस्तिष्क में बेहतर रक्त संचार होता है, जो सिरदर्द को कम करता है और तनाव घटाकर अच्छी नींद लाने में मदद करता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो तनाव-संबंधी सिरदर्द या नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है: जब हम इस आसन को करते हैं, तो पेट और पेट के आसपास की मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है, जिससे पाचन तंत्र सक्रिय होता है। इससे गैस, कब्ज और अपच जैसी परेशानियों में राहत मिलती है। यह आंतों की गतिशीलता को बढ़ाता है और भोजन के बेहतर पाचन में मदद करता है।
- जांघों और घुटनों की मजबूती: उत्तानासन जांघों (हैमस्ट्रिंग) और घुटनों के पीछे की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए बेहद जरूरी है। इस आसन को करने के दौरान जब हम नीचे की ओर झुकते हैं, तो मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। इससे जोड़ों में दर्द आदि से राहत मिलती है और शरीर का संतुलन भी बेहतर होता है। यह पैरों को लचीला बनाने में भी मदद करता है।
- कमर और पीठ को आराम: लंबे समय तक बैठे रहने या गलत मुद्रा में काम करने से कमर और पीठ में अकड़न आ जाती है। उत्तानासन इन क्षेत्रों में खिंचाव लाकर मांसपेशियों को आराम देता है और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। यह पीठ दर्द से राहत दिलाने में भी सहायक है।
उत्तान आसन करने की विधि
उत्तान आसन का अभ्यास करना अपेक्षाकृत सरल है, लेकिन सही मुद्रा का पालन करना महत्वपूर्ण है:
- शुरुआत: सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों को एक साथ या कूल्हे की चौड़ाई के बराबर दूरी पर रखें। अपने हाथों को हिप्स पर रखें।
- झुकना: गहरी सांस लें और कमर को मोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकना शुरू करें। ध्यान रहे कि पीठ सीधी रहे और कूल्हों से झुकाव हो, न कि कमर से।
- हाथों की स्थिति: जैसे-जैसे आप नीचे झुकते हैं, अपने हाथों को पैरों के पास जमीन पर रखें। यदि आप जमीन तक नहीं पहुंच पाते हैं, तो अपने हाथों से टखने पकड़ लें या पिंडली पर रखें। पैर एक-दूसरे के समानांतर और सीध में रखें।
- स्थिति बनाए रखना: इस स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक बने रहें। इस दौरान गहरी और धीमी सांस लेते रहें। आप अपनी गर्दन को ढीला छोड़ सकते हैं।
- वापस आना: आखिर में धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, फिर से सीधे खड़े हो जाएं।
सावधानियां
इस योगासन को करते समय कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं:
- पीठ या कमर में चोट: अगर आपकी पीठ या कमर में गंभीर चोट है तो उत्तानासन न करें।
- साइटिका: साइटिका जैसी समस्या वाले लोगों के लिए यह आसन सख्त मना है, क्योंकि यह दर्द को बढ़ा सकता है।
- गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह के बिना इस योगासन का अभ्यास न करें।
- उच्च रक्तचाप: यदि आपको उच्च रक्तचाप की समस्या है, तो इस आसन को सावधानी से करें और लंबे समय तक सिर नीचे न रखें।
- चक्कर आना: यदि आपको चक्कर आने या संतुलन बिगड़ने का अनुभव होता है, तो तुरंत आसन से बाहर आ जाएं।
किसी भी नए योगासन का अभ्यास शुरू करने से पहले, विशेष रूप से यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो किसी योग्य योग प्रशिक्षक या चिकित्सक से सलाह लेना हमेशा उचित होता है।