मनोज तिवारी ने भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की
नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने भोजपुरी के महान लोक कवि और समाज सुधारक भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। तिवारी का मानना है कि भिखारी ठाकुर का योगदान भारतीय समाज और संस्कृति के लिए अमूल्य है, और उन्हें यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलना चाहिए।
भिखारी ठाकुर: एक युग पुरुष और समाज सुधारक
मनोज तिवारी ने अपने पत्र में लिखा है कि भिखारी ठाकुर केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि एक युग पुरुष थे। उन्होंने अपने जीवन और कला के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ अथक संघर्ष किया। उनके कार्य केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं थे, बल्कि वे सामाजिक चेतना जगाने का एक सशक्त माध्यम थे।
तिवारी ने विशेष रूप से उन सामाजिक मुद्दों का उल्लेख किया जिन पर भिखारी ठाकुर ने अपनी लेखनी, संगीत और रंगमंच के माध्यम से प्रहार किया:
- बाल विवाह: उन्होंने बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ आवाज उठाई, जो उस समय समाज में गहरे तक व्याप्त थी।
- नारी सम्मान: भिखारी ठाकुर ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नारी के सम्मान और उसके अधिकारों की वकालत की।
- जातिगत भेदभाव: उन्होंने जातिगत भेदभाव और छुआछूत जैसी समस्याओं पर भी अपनी कला से चोट की, जिससे समाज में समानता का संदेश फैला।
- सामाजिक कुरीतियां: दहेज प्रथा, अशिक्षा और अंधविश्वास जैसी अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी उन्होंने अपनी कला को हथियार बनाया।
भोजपुरी भाषा और जनचेतना का सशक्त माध्यम
मनोज तिवारी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी भाषा को केवल सांस्कृतिक पहचान ही नहीं, बल्कि जनचेतना का सशक्त माध्यम भी बना गए। उनकी रचनाएं, जैसे 'विदेशिया', 'बेटी बेचवा', और 'गबर घिचोर', आज भी समाज को सोचने पर मजबूर करती हैं। ये रचनाएं न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में भी कार्य करती हैं।
भोजपुरी भाषा के माध्यम से उन्होंने ग्रामीण जनता तक अपनी बात पहुंचाई और उन्हें अपने अधिकारों और सामाजिक बुराइयों के प्रति जागरूक किया। उनका योगदान भारतीय लोक संस्कृति में अमूल्य है, और उन्होंने भोजपुरी को एक समृद्ध साहित्यिक और नाट्य परंपरा दी।
भारत रत्न की मांग का औचित्य
मनोज तिवारी की यह मांग भिखारी ठाकुर के बहुआयामी योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के उद्देश्य से की गई है। भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा या उच्चतम स्तर का प्रदर्शन किया हो। भिखारी ठाकुर का जीवन और कार्य, जिसमें कला, समाज सुधार और भाषा के प्रति उनका समर्पण शामिल है, उन्हें इस सम्मान के लिए एक योग्य उम्मीदवार बनाता है।
यह मांग लोक कलाकारों और क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को भी रेखांकित करती है, जो अक्सर राष्ट्रीय विमर्श में अपेक्षित स्थान नहीं पाते। भिखारी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करना न केवल उनके योगदान को स्वीकार करेगा, बल्कि यह भोजपुरी भाषा और संस्कृति को भी एक नई पहचान और सम्मान दिलाएगा।
सांसद मनोज तिवारी द्वारा भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग एक महत्वपूर्ण पहल है। भिखारी ठाकुर ने अपनी कला और समाज सुधार के कार्यों से भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला है, खासकर भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में। उनका योगदान केवल कलात्मक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है, जिसने उन्हें 'भोजपुरी का शेक्सपियर' और 'लोक कलाओं का राजकुमार' जैसे उपनाम दिलाए हैं। यदि यह मांग स्वीकार की जाती है, तो यह देश की समृद्ध लोक विरासत और उसके गुमनाम नायकों को उचित सम्मान देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा।