ऑपरेशन केलर: कश्मीर में आतंक के खिलाफ भारतीय सेना की नई चेतावनी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, सेना का त्वरित एक्शन — शोपियां में तीन लश्कर आतंकवादी ढेर
ऑपरेशन सिंदूर की गूंज अब भी राष्ट्रीय विमर्श में बनी हुई है, और इसी बीच भारतीय सेना ने एक और निर्णायक कार्रवाई करते हुए 13 मई को जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के घने जंगलों में 'ऑपरेशन केलर' को अंजाम दिया। इस कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों को ढेर किया गया, जिनमें संगठन का एक शीर्ष कमांडर भी शामिल था।
क्या है ऑपरेशन केलर?
ऑपरेशन केलर मंगलवार को दोपहर 12:50 बजे शुरू किया गया। भारतीय सेना के राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के शुकरू केलर क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की सटीक जानकारी मिली थी। इसके बाद क्षेत्र को घेरकर तलाशी अभियान चलाया गया, जो अंततः मुठभेड़ में तब्दील हो गया।
मारे गए आतंकवादियों की पहचान
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मारे गए आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। इनमें से दो की पहचान हो चुकी है:
- शाहिद कुट्टे: शोपियां के छोटीपोरा हीरपोरा निवासी और लश्कर का "A" श्रेणी का शीर्ष कमांडर। मार्च 2023 में आतंक की राह पर चला। मई 2024 में हीरपोरा में भाजपा सरपंच की हत्या में शामिल था। 26 अप्रैल को उसके घर को प्रशासन ने ध्वस्त किया था।
- अदनान शफी: वंदूना मेलहोरा, शोपियां का निवासी, जिसने अक्टूबर 2024 में आतंकी संगठन से जुड़ाव लिया था। इसे "C" श्रेणी का आतंकी माना गया। 18 अक्टूबर 2024 को वाची, शोपियां में एक गैर-स्थानीय मजदूर की हत्या में शामिल था।
तीसरे आतंकी की पहचान अब तक नहीं हो पाई है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की रणनीति का विस्तार
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब भारत ने हाल ही में 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-ऑक्युपाइड कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को सटीक हवाई हमलों से नष्ट किया था। उस कार्रवाई को 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन में 26 नागरिकों की नृशंस हत्या के जवाब के रूप में देखा गया।
ऑपरेशन केलर इस बात का प्रमाण है कि भारत अब आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाए हुए है और सीमा के इस पार और उस पार दोनों ओर आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
संदेश स्पष्ट है
'ऑपरेशन केलर' के माध्यम से भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब केवल रणनीतिक हमले नहीं, बल्कि निरंतर और ठोस जवाबदेही के जरिए आतंकवाद के ढांचे को जड़ से समाप्त किया जाएगा। सेना की तेजी, सटीकता और स्थानीय इंटेलिजेंस के साथ तालमेल इस ऑपरेशन की सफलता की मुख्य कुंजी रहा।