सिंदूर पोस्ट पर पुणे की छात्रा की गिरफ्तारी और निष्कासन पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार और कॉलेज को लगाई फटकार
मुंबई | 27 मई 2025 — ऑपरेशन सिंदूर पर एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर पुणे की 19 वर्षीय छात्रा को निष्कासित करने और गिरफ्तार करने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और सिंहगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज को जमकर फटकार लगाई है।
पुणे के सिंहगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज की दूसरे वर्ष की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) की छात्रा को 9 मई को कोंधवा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के बाद निष्कासित किया गया था और उसी दिन उसे गिरफ्तार कर येरवड़ा जेल भेज दिया गया।
जबकि छात्रा की सेमेस्टर परीक्षा 24 मई से शुरू हो चुकी है, उसने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर निष्कासन रद्द करने और परीक्षा में बैठने की अनुमति की मांग की।
कोर्ट की टिप्पणी: यह उम्र गलती की होती है, सुधार कीजिए, सज़ा नहीं
जस्टिस गौरी वी. गोडसे और सोमशेखर सुंदरसन की अवकाशकालीन पीठ ने छात्रा के साथ हुए बर्ताव पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि छात्रा अपनी गलती मान चुकी है और उसे सुधार का अवसर मिलना चाहिए।
"यह उम्र गलतियां करने और उन्हें सुधारने की होती है। उसने पहले ही पर्याप्त भुगतान कर लिया है। आप उसे अपराधी की तरह क्यों पेश कर रहे हैं?" — कोर्ट ने टिप्पणी की।
कोर्ट ने छात्रा के वकील से उसकी रिहाई के लिए आपराधिक याचिका दायर करने को कहा ताकि वह परीक्षा दे सके।
छात्रा का आरोप: न कोई नोटिस, न सुनवाई, सीधे निष्कासन
एडवोकेट फरहाना शाह के माध्यम से दायर याचिका में छात्रा ने कहा कि कॉलेज ने उसे मनमाने तरीके से निष्कासित कर दिया, बिना कोई कारण बताने का मौका दिए। यह प्राकृतिक न्याय और संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(a) और 21 का उल्लंघन है।
छात्रा ने स्पष्ट किया कि उसने केवल एक इंस्टाग्राम पोस्ट साझा की थी, जिसमें उसकी कोई दुर्भावना नहीं थी और बाद में उसने तुरंत माफी भी मांगी।
कॉलेज का तर्क 'राष्ट्रीय हित', कोर्ट का सख्त जवाब
कॉलेज की ओर से तर्क दिया गया कि कार्रवाई 'राष्ट्रीय हित' में की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया।
“एक छात्रा की टिप्पणी से क्या राष्ट्रीय हित प्रभावित हो जाएगा? यह शैक्षणिक संस्थान का रवैया नहीं हो सकता,” — कोर्ट।
कोर्ट ने कहा कि छात्रा को सुधारने की जरूरत है, ना कि उसे अपराधी बना देने की।
'कस्टडी में परीक्षा'? कोर्ट ने कहा – यह अपराधी नहीं है
सरकारी वकील पी. पी. ककड़े ने सुझाव दिया कि छात्रा पुलिस की निगरानी में परीक्षा दे सकती है, जिस पर कोर्ट ने कहा:
“वह अपराधी नहीं है। पुलिस घेराबंदी में परीक्षा नहीं दे सकती। उसे रिहा किया जाए।”
कोर्ट ने सरकारी वकील को पुलिस से निर्देश लेने को कहा और सुनवाई को दिन में आगे बढ़ा दिया।
ऑपरेशन सिंदूर विवाद की पृष्ठभूमि
छात्रा द्वारा साझा की गई पोस्ट कथित रूप से जम्मू-कश्मीर में हाल ही में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित थी। कॉलेज का दावा है कि इस पोस्ट से संस्थान की छवि धूमिल हो सकती है और सामाजिक असंतुलन फैल सकता है। हालांकि, छात्रा ने इसे तुरंत डिलीट कर माफी भी मांग ली थी।
आगे की राह
छात्रा की जमानत याचिका 28 मई को सत्र न्यायालय में सुनी जाएगी। यदि जमानत मिलती है, तो वह बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड के अपनी पढ़ाई और परीक्षा जारी रख सकेगी।
यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शैक्षणिक संस्थानों की ज़िम्मेदारी और युवाओं के अधिकारों को लेकर अहम सवाल खड़े करता है।