Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर कान्हा के अभिषेक व श्रृंगार की आसान विधि
नई दिल्ली: इस साल 16 अगस्त 2025 को भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव देशभर में भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व हर वर्ष बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त घर-घर में लड्डू गोपाल की स्थापना करते हैं, झूला सजाते हैं, अभिषेक करते हैं और विभिन्न प्रकार के भोग लगाते हैं।
कहते हैं कि कृष्ण की पूजा में प्रेम और सेवा भाव सबसे महत्वपूर्ण है। भक्त उन्हें अपने परिवार के छोटे बच्चे की तरह सेवा करते हैं—खिलाते हैं, सजाते हैं और झूला झुलाते हैं। अगर आप भी इस बार घर पर जन्माष्टमी मनाने जा रहे हैं, तो यहां जानिए कान्हा का अभिषेक और श्रृंगार करने की आसान और पारंपरिक विधि।
कान्हा का अभिषेक कैसे करें?
- स्नान कराएं: सबसे पहले लड्डू गोपाल की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
- पंचामृत अभिषेक: इसके बाद कच्चा दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत तैयार करें और भगवान का अभिषेक करें।
- साफ कपड़े से पोंछें: अभिषेक के बाद किसी साफ, मुलायम कपड़े से मूर्ति को सुखाएं।
श्रृंगार की विधि
- वस्त्र पहनाएं: भगवान को नए, स्वच्छ और खासतौर पर पीले या केसरिया रंग के वस्त्र पहनाएं।
- आभूषण सजाएं: कान्हा को मुकुट पहनाएं, कानों में कुंडल लगाएं, गले में मोतियों की माला और पैरों में पायल पहनाएं।
- हाथ में बांसुरी दें: धार्मिक मान्यता है कि बांसुरी भगवान को प्रिय है, इसलिए श्रृंगार में इसे जरूर शामिल करें।
- मोर पंख: मुकुट में मोर पंख लगाएं, इसे शुभ माना जाता है।
भोग लगाने की विधि
भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और मेवे की खीर विशेष प्रिय है। इसके अलावा आप लड्डू, पेड़ा, फल और पंजीरी का भी भोग लगा सकते हैं।
सजावट के खास टिप्स
- फूलों से सजाएं: लाल, पीले, सफेद, गुलाबी और नीले रंग के फूलों से झूले और पूजा-स्थान को सजाएं।
- गाय-बछड़े की मूर्ति: झूले के पास गाय और बछड़े की छोटी मूर्ति रखें, जो कृष्ण के बाल्यकाल की याद दिलाती है।
- माखन की मटकियां: कान्हा के बगल में छोटी-छोटी मटकियां रखें, जिन्हें आप फूलों से भी भर सकते हैं।
- दीपक जलाएं: पूजा स्थल पर घी का दीपक जलाकर आरती करें।
जन्माष्टमी की पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- मध्यरात्रि जन्म: मान्यता है कि श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी की पूजा भी इसी समय संपन्न की जाती है।
- भजन-कीर्तन: इस दिन भजन-कीर्तन करने और ‘हरे कृष्ण’ महामंत्र का जाप करने का विशेष महत्व है।
- उपवास: कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और रात 12 बजे जन्मोत्सव के बाद फलाहार करते हैं।
Final Thoughts (अंतिम विचार):
जन्माष्टमी का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमें प्रेम, सेवा और निस्वार्थ भक्ति का संदेश भी देता है। कान्हा का अभिषेक और श्रृंगार करते समय मन में सिर्फ एक भाव होना चाहिए—भक्ति और समर्पण। चाहे पूजा का स्थान छोटा हो या भव्य, भगवान के प्रति आपका प्रेम ही सबसे बड़ी भेंट है। इस जन्माष्टमी, अपने घर को भक्ति और उल्लास से भर दें और श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति पाएं।