दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों का मामला तीन जजों की बेंच को सौंपा, कल होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे और उनसे जुड़ी घटनाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट में विशेष सुनवाई होगी। बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को तीन न्यायाधीशों की एक विशेष बेंच को सौंप दिया है। यह बेंच कल, यानी 14 अगस्त 2025, को सुनवाई करेगी।
नई बेंच का गठन और जजों के नाम
इस मामले को अब न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की विशेष पीठ देखेगी। यह पीठ न केवल आवारा कुत्तों को हटाने के मामले की सुनवाई करेगी, बल्कि इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर भी गौर करेगी।
CJI का भरोसा और याचिका का उल्लेख
बुधवार को प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ के सामने वकील ने ‘कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया)’ की याचिका का तत्काल उल्लेख किया। वकील ने जस्टिस जेके माहेश्वरी की अगुवाई वाली पीठ के मई 2024 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें आवारा कुत्तों से जुड़ी याचिकाओं को संबंधित हाईकोर्ट भेजा गया था।
इस पर CJI गवई ने भरोसा दिलाया कि वह इस पर गौर करेंगे। इसके बाद मामला तीन जजों की नई बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
कुछ दिन पहले जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि 6 से 8 हफ्तों के भीतर लगभग 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाए जाएं।
पीठ ने यह चेतावनी भी दी थी कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन इस प्रक्रिया में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी।
पशु जन्म नियंत्रण नियम और याचिकाएं
‘कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया)’ की याचिका में दावा किया गया है कि पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 का पालन नहीं किया जा रहा। इन नियमों के तहत आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नियमित बधियाकरण और टीकाकरण अनिवार्य है।
अब सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच इस याचिका के साथ-साथ आवारा कुत्तों को पकड़ने के खिलाफ दायर अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी। गुरुवार को इस बेंच के सामने कुल चार मामले सूचीबद्ध हैं।
राजनीतिक हलचल
सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश ने राजनीतिक हलचल भी मचा दी थी। कई नेताओं और संगठनों ने आवारा कुत्तों को हटाने के फैसले की आलोचना की थी।
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाए थे।
- कुछ पशु अधिकार संगठनों ने इसे जानवरों के अधिकारों का उल्लंघन बताया।
- वहीं, कई नागरिकों ने सोशल मीडिया पर आदेश का समर्थन किया, यह कहते हुए कि कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं से निपटना जरूरी है।
अगला कदम
14 अगस्त की सुनवाई में तीन जजों की विशेष बेंच यह तय करेगी कि आवारा कुत्तों के मुद्दे पर पहले के आदेशों में बदलाव होना चाहिए या नहीं, और इस समस्या के समाधान के लिए क्या कदम उठाए जाएं।
Final Thoughts (अंतिम विचार):
आवारा कुत्तों का मुद्दा केवल कानून और प्रशासन का नहीं, बल्कि समाज की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का भी है। एक तरफ इंसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है, तो दूसरी तरफ जानवरों के अधिकारों और उनके जीवन की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई एक संतुलित समाधान की दिशा में अहम कदम साबित हो सकती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत किस तरह इस संवेदनशील मुद्दे पर न्याय और मानवीय दृष्टिकोण के बीच संतुलन बनाती है।