प्रयागराज, उत्तर प्रदेश — सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शंकर और माता पार्वती की उपासना के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस अवसर पर प्रयागराज की महिलाएं एक अनोखी पहल कर रही हैं। ये महिलाएं समूह में मिलकर गाय के गोबर और मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की पारंपरिक मूर्तियां बना रही हैं। इस रचनात्मक कार्य के ज़रिए न सिर्फ इन महिलाओं को धार्मिक पुण्य मिल रहा है, बल्कि आर्थिक मजबूती भी मिल रही है।
इन मूर्तियों की स्थानीय बाजार में काफी मांग है। महिलाएं कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत योजना और महिला सशक्तिकरण की पहल ने उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाया है। अब वे घर की सीमाओं से बाहर निकलकर समाज में अपनी पहचान बना रही हैं।
महिला समूह की एक सदस्य वर्तिका ने बताया कि वे लोग गोबर से दीपक, सजावटी सामान और शिव परिवार की मूर्तियां तैयार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस बार सावन में गोबर से बनी मूर्तियों का विशेष महत्व है क्योंकि ये पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल हैं। मूर्तियों का विसर्जन नहीं भी हो, तो लोग उन्हें अपने घरों के गमलों में सजा सकते हैं।
वर्तिका ने कहा, “हमने पहले यह काम सिर्फ पांच महिलाओं के साथ शुरू किया था। लेकिन आज हमारे समूह में दर्जनों महिलाएं जुड़ चुकी हैं और सबको रोज़गार मिल रहा है। प्रयागराज महाकुंभ में भी हमारे काम को सराहा गया। इससे हम आत्मनिर्भर बन रही हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि इन मूर्तियों को बनाकर महिलाएं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी काम कर रही हैं। उनका मानना है कि इससे मां गंगा को प्रदूषण से बचाने में मदद मिलेगी और लोगों में ईको-फ्रेंडली पूजा सामग्री को लेकर जागरूकता बढ़ेगी।
एक अन्य महिला काजोल ने कहा कि वे गणेश उत्सव के लिए भी गोबर की मूर्तियां बना रही हैं। “पीएम मोदी ने महिलाओं के लिए जो योजनाएं शुरू की हैं, उससे हमें प्रेरणा और साधन दोनों मिले हैं। अब महिलाएं सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने और रोजगार पाने के रास्ते भी खोज रही हैं,” उन्होंने कहा।
इन महिलाओं की इस पहल से यह साबित होता है कि परंपरा और पर्यावरण के बीच संतुलन संभव है और ग्रामीण महिलाएं भी आर्थिक रूप से सशक्त बन सकती हैं, बशर्ते उन्हें उचित अवसर और मार्गदर्शन मिले।
TheTrendingPeople का अंतिम विचार:
प्रयागराज की महिलाओं द्वारा सावन में गोबर और मिट्टी से मूर्तियां बनाना न सिर्फ भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम भी है। प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं से प्रेरित होकर महिलाएं अब रचनात्मकता, रोज़गार और सामाजिक नेतृत्व के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। यह पहल न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देती है, बल्कि भावी पीढ़ी को भी प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने का संदेश देती है।