नाबार्ड: 'एक राज्य एक आरआरबी' का आईटी एकीकरण 30 सितंबर तक पूरा होगा, ग्रामीण विकास पर जोरफोटो : Punjab Kesari
नई दिल्ली: ग्रामीण भारत के वित्तीय परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आने वाला है। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के चेयरमैन शाजी केवी ने सोमवार को घोषणा की कि 'एक राज्य एक आरआरबी' (One State One RRB) के सिद्धांत पर हाल ही में विलय पूरा कर चुके क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) का आईटी एकीकरण 30 सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को सुव्यवस्थित करने और उनकी दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
'एक राज्य एक आरआरबी' पहल और इसका उद्देश्य
'एक राज्य एक आरआरबी' के सिद्धांत पर आरआरबी का एकीकरण एक मई से प्रभावी हो गया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य पैमाने की दक्षता में सुधार करना और परिचालन लागत को युक्तिसंगत बनाना था। इस एकीकरण के साथ, अब 26 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 28 आरआरबी कार्यरत हैं, जिनकी 700 जिलों में 22,000 से अधिक शाखाएं हैं। यह व्यापक नेटवर्क ग्रामीण भारत की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाजी केवी ने बताया कि एक मई तक राज्य स्तर पर सभी आरआरबी का एकीकरण किया गया है, और अब सितंबर तक आरआरबी का आईटी एकीकरण पूरा होने की उम्मीद है। यह आईटी एकीकरण ग्रामीण बैंकिंग सेवाओं को और अधिक सुलभ और कुशल बनाएगा।
नाबार्ड का डिजिटल बुनियादी ढांचा और ग्रामीण पहुंच
चेयरमैन शाजी ने कहा कि नाबार्ड आरआरबी के साथ मिलकर एक साझा डिजिटल बुनियादी ढांचा (इंफ्रास्ट्रक्चर) बनाने पर काम कर रहा है। वे ग्रामीण आबादी तक पहुंचने के लिए ऋण बुनियादी ढांचे (क्रेडिट इन्फ्रास्ट्रक्चर) और सरकारी डेटा सिस्टम शुरू कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच बढ़े और सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंच सके।
हालांकि, इस डिजिटल परिवर्तन की राह में कुछ चुनौतियां भी हैं। शाजी ने स्वीकार किया कि कम इंटरनेट बैंडविड्थ और जागरूकता जैसी चुनौतियां मौजूद हैं, लेकिन इनसे निपटने के लिए विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर प्रयास किए जा रहे हैं। यह दर्शाता है कि नाबार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल डिवाइड को पाटने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कृषि मूल्य श्रृंखलाओं के डिजिटलीकरण का भी जिक्र किया, जिनमें से करीब 20 पहले ही डिजिटल हो चुकी हैं। यह किसानों को बेहतर बाजार पहुंच, मूल्य निर्धारण और पारदर्शिता प्रदान करेगा।
किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नई पहलें
नाबार्ड कई बैंकों के साथ मिलकर अधिक किसानों, खासकर भूमि रिकॉर्ड के अभाव वाले किसानों को इस प्रणाली में लाने के लिए काम कर रहा है। यह उन किसानों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्हें पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली में ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
इसके साथ ही, नाबार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर पहुंच के लिए ब्लॉकचेन-आधारित फसल ट्रेसेबिलिटी और बीसी (बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट) नेटवर्क के साथ काम कर रहा है। ब्लॉकचेन तकनीक फसल की उत्पत्ति से लेकर उपभोक्ता तक की पूरी यात्रा को ट्रैक करने में मदद करेगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा। बीसी नेटवर्क ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाएगा।
शाजी ने बताया कि सरकार अब एग्री स्टैक (कृषि के लिए), फिशरीज स्टैक और कोऑपरेटिव स्टैक जैसे अतिरिक्त स्टैक पर काम कर रही है। 'कोऑपरेटिव स्टैक' से ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ वितरित करने के लिए एक एकीकृत प्रणाली बनाने को प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के माध्यम से विभिन्न योजनाओं को एकीकृत करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण का नेतृत्व कर रहा है, जिसमें करीब 70,000 समितियां पहले ही डिजिटल हो चुकी हैं। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा।
वित्तीय समावेशन और समान विकास पर जोर
वित्तीय समावेशन कोष के माध्यम से, नाबार्ड एनजीओ (गैर-सरकारी संगठन) और फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) कंपनियों के साथ प्रायोगिक परियोजनाओं का समर्थन कर रहा है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में नवाचार और वित्तीय सेवाओं की पहुंच को बढ़ावा देगा।
इसके अलावा, नाबार्ड ग्रामीण-शहरी आय विभाजन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है, जहां देश की दो-तिहाई आबादी राष्ट्रीय आय में केवल एक-तिहाई का योगदान देती है। शाजी ने कहा कि नाबार्ड समान विकास सुनिश्चित करने के लिए समाधान पर काम कर रहा है और इसका लक्ष्य किसानों को कृषि व्यवसाय वाले उद्यमियों में बदलना है। यह ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देगा और ग्रामीण आय में वृद्धि करेगा। नाबार्ड फिनटेक के साथ गुमनाम डेटा साझा करने के लिए सैंडबॉक्स वातावरण भी स्थापित कर रहा है, जिससे वित्तीय नवाचार को सुरक्षित तरीके से बढ़ावा मिल सके।
नाबार्ड द्वारा 'एक राज्य एक आरआरबी' का आईटी एकीकरण और विभिन्न डिजिटल पहलों पर जोर ग्रामीण भारत में वित्तीय सेवाओं की पहुंच और दक्षता में क्रांति लाने के लिए तैयार है। ये प्रयास न केवल ग्रामीण आबादी को मुख्यधारा की वित्तीय प्रणाली से जोड़ेंगे, बल्कि कृषि, मत्स्य पालन और सहकारी क्षेत्रों में डिजिटलीकरण को भी बढ़ावा देंगे। चुनौतियों के बावजूद, नाबार्ड का लक्ष्य ग्रामीण-शहरी आय विभाजन को कम करना और किसानों को उद्यमियों में बदलना है, जिससे देश के समग्र और समावेशी विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।