मध्यप्रदेश में मूसलाधार बारिश से बिगड़े हालात: कई जिलों में रेड अलर्ट, स्कूलों में छुट्टियाँ, डैमों के खुले गेट
मानसून की तेज दस्तक ने बढ़ाई चिंता
मध्यप्रदेश में मानसून की सक्रियता ने एक बार फिर आमजन की चिंता बढ़ा दी है। 29 जुलाई से शुरू हुई तेज बारिश ने प्रदेश के कई हिस्सों को जलमग्न कर दिया है। राजधानी भोपाल से लेकर नर्मदापुरम, विदिशा, अशोकनगर और मुरैना तक बाढ़ जैसे हालात देखने को मिल रहे हैं। कई जगह सड़कों पर दो फीट तक पानी भर गया है तो कॉलोनियां तालाब में तब्दील हो गई हैं।
IMD का रेड और ऑरेंज अलर्ट
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मध्यप्रदेश के रायसेन, नर्मदापुरम और हरदा जिलों में अत्यधिक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा भोपाल, विदिशा, सीहोर, राजगढ़, बैतूल, खंडवा, देवास, शाजापुर, गुना, शिवपुरी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा और पांढुर्णा में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इसका मतलब है कि इन जिलों में अगले कुछ दिनों में तेज बारिश की संभावना है, जिससे जनजीवन पर असर पड़ सकता है।
29 से 31 जुलाई तक भारी बारिश का अनुमान
मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में बना लो प्रेशर एरिया और मानसून ट्रफ बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ है। इससे बारिश की तीव्रता बढ़ गई है। अनुमान है कि 29 जुलाई से 31 जुलाई तक राज्य में अत्यधिक भारी बारिश होती रहेगी, खासकर उन इलाकों में जो पहले से ही प्रभावित हैं।
जलस्तर में भारी वृद्धि, खुले डैम के गेट
तेजी से हो रही बारिश का असर प्रमुख जलाशयों पर भी दिख रहा है।
- भोपाल के बड़ा तालाब का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है।
- तवा डैम के 9 गेट और सतपुड़ा डैम के 5 गेट खोल दिए गए हैं ताकि जल प्रवाह नियंत्रित किया जा सके।
- नर्मदा नदी में भी जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे तटीय इलाकों में बाढ़ की संभावना बढ़ गई है।
जिलेवार स्थिति: कहां कितना असर
विदिशा जिले के ग्यारसपुर में एक 8 वर्षीय बच्ची अपने भाई के साथ स्कूल वैन का इंतजार कर रही थी, तभी दोनों बारिश के तेज बहाव में बह गए। मौके पर मौजूद लोगों ने तत्परता दिखाते हुए दोनों बच्चों को सुरक्षित निकाला।
अशोकनगर में भारी बारिश के कारण लगभग 60 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। स्थानीय प्रशासन ने एनडीआरएफ और पुलिस की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।
मुरैना में स्थित शासकीय बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल और संकुल केंद्र रामपुर कला की इमारत का एक हिस्सा तेज बारिश के कारण भरभराकर गिर गया। हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ।
प्रशासन और राहत कार्य
प्रशासन ने प्रभावित जिलों में स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है। कई स्थानों पर राहत कैंप और अस्थाई आश्रय स्थल बनाए गए हैं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन दल पूरी मुस्तैदी के साथ राहत कार्यों में जुटे हुए हैं।
भोपाल जिला प्रशासन के अधिकारी ने बताया, “जलभराव वाले क्षेत्रों में मोटर पंप लगाकर पानी निकाला जा रहा है। जरूरत पड़ने पर नाव की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा।”
स्थानीय और राष्ट्रीय प्रभाव
इस वर्ष की बारिश ने न केवल मध्यप्रदेश में बाढ़ का संकट खड़ा कर दिया है, बल्कि खेती-किसानी और आवागमन पर भी व्यापक प्रभाव डाला है। फसलों को नुकसान की आशंका है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे मकानों के गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
देशभर के लिए यह स्थिति एक चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित शहरीकरण का मिलाजुला असर अब और अधिक गंभीर रूप लेता जा रहा है।
Final Thoughts from Hindi.TheTrendingPeople.com
मध्यप्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आपदा प्रबंधन की तैयारी और संसाधनों की जरूरत अब पहले से कहीं ज्यादा है। प्रशासन को जहां तत्काल राहत कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए, वहीं दीर्घकालीन योजना बनाकर जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है। आमजन को भी इस आपदा के समय में सतर्क रहने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की जाती है।