सावन में कांवड़ियों का उत्साह: मंदसौर से नीमच पहुंची 70 KM लंबी कांवड़ यात्राफोटो : tajmahalinagra
नेशनल डेस्क, 21 जुलाई (दी ट्रेंडिंग पीपल)। सावन माह में शिवभक्तों का उत्साह चरम पर है। महादेव के उद्घोष और 'बम-बम भोले' के नारे के साथ सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर रहे कांवड़ियों का जोश देखने लायक है। इसी बीच, मध्य प्रदेश में कांवड़ यात्रियों का एक बड़ा जत्था मंदसौर के पशुपतिनाथ महादेव से नीमच पहुंचा। इस दौरान यात्रा मार्ग में कई स्थानों पर कांवड़ियों का भव्य स्वागत किया गया, जिससे भक्तिमय माहौल बन गया।
मंदसौर से नीमच तक भव्य कांवड़ यात्रा
श्रावण मास के द्वितीय सोमवार को इस वर्ष भी मंदसौर के पशुपतिनाथ महादेव से नीमच तक एक भव्य कांवड़ यात्रा निकाली गई। इस दौरान मंदसौर में भगवान पशुपतिनाथ महादेव का जलाभिषेक कर शिवना नदी के पवित्र जल को भरकर कांवड़ यात्रा 'बम-बम भोले' के जयघोष के साथ नीमच पहुंची। यात्रा का मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा से भव्य स्वागत किया गया, जिससे शिवभक्तों का उत्साह और बढ़ गया। इस यात्रा में बड़ी संख्या में महिला और पुरुष शिवभक्त शामिल हुए, जो अपनी आस्था और भक्ति का प्रदर्शन कर रहे थे।
15वां वर्ष और 70 किलोमीटर की यात्रा
कांवड़ यात्रा समिति के सदस्य ने इस यात्रा के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया, "हर वर्ष श्रावण मास में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। यह कांवड़ यात्रा मंदसौर पशुपतिनाथ से अभिषेक कर कांवड़ भर कर प्रारंभ होती है, जो नीमच पहुंचती है। इस वर्ष यात्रा का यह 15वां वर्ष है।" यह दर्शाता है कि यह यात्रा एक लंबी और स्थापित परंपरा का हिस्सा बन चुकी है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी कांवड़ यात्रा में बड़ी संख्या में शिवभक्त शामिल हुए और यह यात्रा लगभग 70 किलोमीटर की थी, जो भक्तों की दृढ़ता और समर्पण को प्रदर्शित करती है।
यात्रा का मार्ग और मुख्य आकर्षण
यात्रा शनिवार को मंदसौर पशुपतिनाथ पहुंचने के साथ शुरू हुई थी, जहां रविवार को भगवान भोलेनाथ का अभिषेक कर कांवड़ यात्रा प्रारंभ हुई। कांवड़िए रविवार शाम हिंगोरिया फाटक स्थित बालाजी मंदिर पर रात्रि विश्राम के लिए रुके। इसके पश्चात सोमवार को सुबह यात्रा गाजे-बाजे व डीजे के साथ फिर से प्रारंभ हुई, जो प्रमुख मार्गों से होती हुई जूना सतनारायण मंदिर पहुंची। यहां पहुंचकर शिवभक्तों ने भगवान का अभिषेक किया और महाआरती की गई।
इस वर्ष की यात्रा का मुख्य आकर्षण कई विशेष कांवड़ें रहीं, जिन्होंने भक्तों का ध्यान अपनी ओर खींचा:
- बाबा का रथ: एक विशेष रूप से सजाया गया रथ, जो यात्रा का नेतृत्व कर रहा था।
- 1 क्विंटल जल की कांवड़: एक विशाल कांवड़ जिसमें 1 क्विंटल (100 किलोग्राम) जल भरा हुआ था, जो भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक था।
- डमरू की कांवड़: डमरू के आकार की एक अनोखी कांवड़।
- भोले बाबा की पालकी कांवड़: भगवान भोलेनाथ की पालकी के रूप में सजी एक कांवड़।
मध्य प्रदेश के मंदसौर से नीमच तक की यह 70 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा सावन माह में शिवभक्तों की अटूट आस्था और समर्पण का एक अद्भुत उदाहरण है। हजारों महिला और पुरुष शिवभक्तों ने 'बम-बम भोले' के जयघोष के साथ इस यात्रा को पूरा किया, जो न केवल उनकी भक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे धार्मिक परंपराएं समुदायों को एकजुट करती हैं। इस यात्रा ने पूरे मार्ग में भक्तिमय और उत्साहपूर्ण माहौल बनाए रखा, जिससे यह सावन माह और भी विशेष बन गया।