तमिलनाडु में कुलपति नियुक्तियों पर हाई कोर्ट की रोक: संविधानिक टकराव फिर उभरा
तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के बीच चल रहे अधिकारों के संघर्ष में नया मोड़ आ गया है। मद्रास हाई कोर्ट ने उन संशोधित कानूनों पर अंतरिम रोक लगा दी है, जो राज्य सरकार को 18 विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने की शक्ति देते थे।
जस्टिस जी.आर. स्वामिनाथन और वी. लक्ष्मीनारायणन की पीठ ने यह फैसला ऐसे समय में दिया जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के 10 लंबित विधेयकों को "माने गए स्वीकृति" का दर्जा दिया था। इन विधेयकों में राज्यपाल से कुलपति नियुक्ति का अधिकार हटाने का प्रावधान था।
इस आदेश के बाद, राज्यपाल को एक बार फिर चांसलर के रूप में कुलपति नियुक्त करने का अधिकार मिल गया है। फिलहाल करीब दर्जनभर विश्वविद्यालयों में नियुक्तियाँ रुकी हुई हैं।
कानूनी दलील क्या है?
यह याचिका एक वकील द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि राज्य के संशोधित अधिनियम पहले से मौजूद सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ हैं। खासतौर पर डॉ. श्रीजीत बनाम डॉ. राजश्री और गंभीरदान गढ़वी बनाम गुजरात सरकार जैसे मामलों में UGC नियम 7.3 के उल्लंघन पर कुलपति नियुक्तियों को रद्द किया गया था।
UGC का यह नियम खोज समिति की संरचना को नियंत्रित करता है। मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की यह दलील खारिज कर दी कि उन्होंने UGC नियमों को 2021 में स्वीकार किया, लेकिन नियम 7.3 को छोड़ दिया था।
न्यायिक जल्दबाज़ी या ज़रूरी हस्तक्षेप?
हालांकि यह आदेश संविधानिक संतुलन को कायम रखने की दिशा में दिखता है, पर विशेषज्ञों का मानना है कि यह जल्दबाज़ी में लिया गया फैसला है। कोर्ट ने राज्य को पूरा जवाब दाखिल करने का समय नहीं दिया और यह भी नहीं माना कि मामला सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरण की प्रक्रिया में है।
ऐसे मामलों में आमतौर पर निचली अदालतें प्रतीक्षा करती हैं कि सर्वोच्च अदालत क्या निर्णय लेती है।
आगे क्या?
अब सवाल यह है कि क्या UGC के नियम — जो एक अधीनस्थ संस्था द्वारा बनाए गए हैं — किसी राज्य की विधान सभा द्वारा पारित कानून को निरस्त कर सकते हैं?
इस मुद्दे पर पहले भी कल्याणी मथिवानन और जगदीश प्रसाद शर्मा जैसे मामलों में अलग-अलग फैसले आए हैं। इसलिए ज़रूरत है कि सुप्रीम कोर्ट अब इस पर अंतिम निर्णय दे।
तब तक तमिलनाडु के विश्वविद्यालय नेतृत्व विहीन हैं, और उच्च शिक्षा पर नियंत्रण को लेकर केंद्र, राज्य और UGC के बीच खींचतान जारी है।