नई दिल्ली – हर साल आने वाली अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और शुभ दिनों में से एक माना जाता है। यह वह तिथि है जब किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत बिना पंचांग देखे भी की जा सकती है। वर्ष 2025 में यह पावन पर्व 30 अप्रैल, बुधवार को मनाया जाएगा।
अक्षय तृतीया 2025: शुभ तिथि और पूजन मुहूर्त
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तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025 को शाम 5:31 बजे
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तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:12 बजे
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पूजा का उत्तम समय: 30 अप्रैल सुबह 5:41 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक
टिप: इस समय के दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व
‘अक्षय’ का अर्थ होता है – जो कभी नष्ट न हो। इस दिन किए गए दान, जप, तप, और पूजा का पुण्य अक्षय रहता है। मान्यता है कि इसी दिन:
- भगवान परशुराम का जन्म हुआ था,
- पांडवों को अक्षय पात्र मिला था,
- भगवान विष्णु ने नर-नारायण अवतार लिया था,
- महाभारत का लेखन प्रारंभ हुआ था।
यह दिन न केवल धार्मिक रूप से बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर क्या खरीदना शुभ होता है?
1. सोना और चांदी
सोने की खरीदारी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन खरीदा गया सोना अक्षय फल प्रदान करता है।
2. नई संपत्ति या वाहन
अगर आप नया घर, फ्लैट या गाड़ी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो यह सबसे शुभ दिन है।
3. तुलसी का पौधा
घर में तुलसी लगाने से देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
4. इलेक्ट्रॉनिक सामान या मोबाइल फोन
आजकल लोग अक्षय तृतीया पर मोबाइल, लैपटॉप जैसे डिजिटल डिवाइस भी खरीदते हैं, जो शुभ माना जाता है।
5. मिट्टी का घड़ा या जल पात्र
गर्मी में उपयोग होने वाले इन वस्तुओं को खरीदना स्वास्थ्य और शुद्धता का प्रतीक माना गया है।
इन चीजों की खरीदारी से बचें
- कांटेदार पौधे जैसे कैक्टस – ये घर में नकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं।
- लोहे या स्टील के बर्तन – तांबा, चांदी या पीतल बेहतर विकल्प हैं।
- बासी मिठाइयां या खराब अन्न – पूजा में ताजे और सात्विक प्रसाद का ही उपयोग करें।
- काले कपड़े – इस दिन सफेद, पीले या लाल रंग पहनना शुभ होता है।
अक्षय तृतीया 2025 की पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को साफ करके पीला या लाल कपड़ा बिछाएं।
- भगवान विष्णु, लक्ष्मी, कुबेर और परशुराम जी की प्रतिमाएं स्थापित करें।
- चंदन, अक्षत, पुष्प, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम, लक्ष्मी स्तोत्र या कुबेर मंत्रों का जाप करें।
- प्रसाद बांटे और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दान दें।
निष्कर्ष
अक्षय तृतीया 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक शुभ आरंभ और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। यह दिन जीवन में स्थायी सफलता, शांति और समृद्धि का मार्ग खोल सकता है। सही मुहूर्त में पूजा करके और सही वस्तुएं खरीदकर आप अपने जीवन को धन, धर्म और वैभव से भर सकते हैं।