महापर्व छठ: आज संध्या अर्घ्य का विशेष दिन, जानें बिहार के जिलों में सूर्यास्त का सटीक समयफोटो : अमर उजाला।
27 अक्टूबर (विशेष संवाददाता) - आस्था और प्रकृति के महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है, और देशभर के व्रतियों के लिए आज (27 अक्टूबर) का दिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यह चार दिवसीय अनुष्ठान बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में भी बड़े भक्ति भाव और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। छठ पूजा के तीसरे दिन, जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है, भक्तजन नदियों, तालाबों और छठ घाटों पर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि यह अर्घ्य सूर्य की शक्ति के लिए आभार व्यक्त करने का एक अनूठा तरीका है, जो जीवनदायिनी ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह लेख विशेष रूप से TheTrendingPeople.com के पाठकों के लिए तैयार किया गया है, जिसमें बिहार के प्रमुख जिलों के लिए आज के सूर्यास्त और कल के सूर्योदय के सटीक समय की जानकारी दी गई है, ताकि व्रती समय पर अनुष्ठान पूरा कर सकें।
व्रत का तीसरा दिन: डूबते सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा
छठ पर्व के तीसरे दिन का महत्व असाधारण है। इसे डूबते सूर्य की उपासना का दिन भी कहा जाता है। व्रती और उनके परिवारजन बांस की टोकरी (बहंगी) में पूजा सामग्री, ठेकुआ, फल और अन्य प्रसाद सजाकर छठ घाटों पर पहुंचते हैं। अर्घ्य से पहले पवित्र जल में खड़े होकर, व्रती सूर्य के अस्त होने की प्रतीक्षा करते हैं और ठीक सूर्यास्त के समय जल में दूध और गंगाजल मिश्रित अर्घ्य सूर्य देव को अर्पित करते हैं।
यह उपासना केवल सूर्य की नहीं, बल्कि छठी मइया (जिन्हें सूर्य देव की बहन माना जाता है) की भी आराधना है, जिनसे संतान की सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण का आशीर्वाद मांगा जाता है। यह परंपरा इस दर्शन को मजबूत करती है कि जीवन का चक्र अस्त होने के बाद भी जारी रहता है, और हमें उदय होने वाले सूर्य के साथ-साथ अस्त होने वाले सूर्य के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए।
चार दिवसीय महापर्व की विस्तृत रूपरेखा
छठ महापर्व, जिसे शुद्धता और सादगी का प्रतीक माना जाता है, चार चरणों में पूरा होता है, जो इसकी व्यापकता और आध्यात्मिक गहराई को दर्शाते हैं:
- नहाय-खाय (पहला दिन): इस दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान कर शुद्ध होते हैं और केवल कद्दू-भात (लौकी और चावल) का सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
- खरना (दूसरा दिन): इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं। शाम को, गुड़ और चावल से बनी खीर, जिसे रसियाव भी कहते हैं, और रोटी का प्रसाद बनाकर सूर्य देव को भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
- संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन - आज): यह सबसे महत्वपूर्ण दिन है, जब डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान प्रसाद को बहंगी में रखकर घाट पर ले जाया जाता है।
- उषा अर्घ्य (चौथा दिन - कल): इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रती व्रत का पारण (समापन) करते हैं।
यह अनुष्ठान व्रती की शारीरिक और मानसिक दृढ़ता की परीक्षा लेता है और उसे प्रकृति के करीब लाता है।
बिहार के प्रमुख जिलों में आज (27 अक्टूबर) सूर्यास्त और कल (28 अक्टूबर) सूर्योदय का समय
चूंकि छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रचलित है, इसलिए इन क्षेत्रों में अर्घ्य का समय जानने के लिए व्रती उत्सुक रहते हैं। खगोलीय गणनाओं के अनुसार, आज (27 अक्टूबर) बिहार के प्रमुख जिलों में सूर्यास्त (संध्या अर्घ्य) और कल (28 अक्टूबर) के सूर्योदय (उषा अर्घ्य) का संभावित समय नीचे दी गई सारणी में प्रस्तुत है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अर्घ्य का समय एक या दो मिनट तक भिन्न हो सकता है, इसलिए व्रतियों को स्थानीय पंचांग और मौसम की स्थिति के आधार पर तैयारी करनी चाहिए।
ज़िला | सूर्यास्त (27 अक्टूबर) | सूर्योदय (28 अक्टूबर) |
|---|---|---|
पटना | 05:11 PM | 05:55 AM |
गया | 05:11 PM | 05:55 AM |
भागलपुर | 05:04 PM | 05:47 AM |
पूर्णिया | 05:02 PM | 05:46 AM |
पश्चिम चंपारण | 05:12 PM | 05:59 AM |
मुजफ्फरपुर | 05:10 PM | 05:54 AM |
सारण | 05:08 PM | 05:49 AM |
दरभंगा | 05:08 PM | 05:52 AM |
सुपौल | 05:06 PM | 05:51 AM |
अररिया | 05:01 PM | 05:46 AM |
रोहतास | 05:17 PM | 05:58 AM |
मधुबनी | 05:07 PM | 05:52 AM |
पूर्वी चंपारण | 05:11 PM | 05:57 AM |
शेखपुरा | 05:09 PM | 05:51 AM |
गोपालगंज | 05:13 PM | 05:58 AM |
जमुई | 05:08 PM | 05:50 AM |
बक्सर | 05:16 PM | 05:59 AM |
शिवहर | 05:10 PM | 05:55 AM |
भोजपुर | 05:09 PM | 05:52 AM |
समस्तीपुर | 05:07 PM | 05:51 AM |
वैशाली | 05:11 PM | 05:55 AM |
सीतामढ़ी | 05:09 PM | 05:54 AM |
औरंगाबाद | 05:17 PM | 05:57 AM |
बेगूसराय | 05:08 PM | 05:50 AM |
खगड़िया | 05:06 PM | 05:49 AM |
बांका | 05:05 PM | 05:47 AM |
कटिहार | 05:02 PM | 05:45 AM |
नवादा | 05:10 PM | 05:52 AM |
भभुआ (कैमूर) | 05:18 PM | 06:00 AM |
किशनगंज | 05:04 PM | 05:47 AM |
सिवान | 05:14 PM | 05:58 AM |
लखीसराय | 05:08 PM | 05:50 AM |
जहानाबाद | 05:12 PM | 05:55 AM |
अरवल | 05:14 PM | 05:56 AM |
मधेपुरा | 05:04 PM | 05:48 AM |
सहरसा | 05:05 PM | 05:49 AM |
मुंगेर | 05:06 PM | 05:48 AM |
नालंदा | 05:11 PM | 05:53 AM |
दिल्ली, झारखंड और उत्तर प्रदेश के व्रतियों के लिए अनुमानित समय
यद्यपि छठ महापर्व बिहार से निकलकर अब एक वैश्विक पहचान बना चुका है, दिल्ली, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में भी इसकी धूम देखने को मिलती है। बिहार के अलावा, इन प्रमुख क्षेत्रों के व्रतियों के लिए भी सूर्यास्त के समय की जानकारी महत्वपूर्ण है:
- दिल्ली/एनसीआर: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सूर्यास्त का समय आम तौर पर बिहार के पश्चिमी जिलों की तुलना में लगभग 10 से 15 मिनट बाद होता है। आज (27 अक्टूबर) दिल्ली में सूर्यास्त का अनुमानित समय शाम 05:25 बजे से 05:35 बजे के बीच रहने की संभावना है। व्रतियों को यमुना के घाटों पर या कृत्रिम तालाबों पर इसी समय के अनुसार तैयारी करनी चाहिए।
- झारखंड: झारखंड का समय लगभग बिहार के दक्षिणी जिलों के समान होगा। रांची और जमशेदपुर जैसे प्रमुख शहरों में सूर्यास्त का अनुमानित समय शाम 05:05 बजे से 05:15 बजे के बीच रहने की उम्मीद है।
- उत्तर प्रदेश (पूर्वी भाग): वाराणसी, गोरखपुर और प्रयागराज जैसे पूर्वी यूपी के क्षेत्रों में सूर्यास्त का समय बिहार के पश्चिमी जिलों से मेल खाएगा। यह समय लगभग शाम 05:15 बजे से 05:20 बजे के बीच रहेगा।
यह भौगोलिक भिन्नता पृथ्वी के घूर्णन और देशांतर (Longitude) में अंतर के कारण होती है, जिसका सीधा असर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर पड़ता है।
छठी मइया के गीतों से गूंज उठे घाट और घर
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव है जिसकी पहचान इसके मधुर और पारंपरिक गीतों से होती है। राजधानी पटना समेत पूरे बिहार, झारखंड और दिल्ली के हर घर और घाट पर छठ के पारंपरिक गीत गूंजने लगे हैं, जो वातावरण में भक्ति और आध्यात्मिकता घोल रहे हैं।
विशेष रूप से, व्रतियों द्वारा गाए जाने वाले गीत जैसे:
- "केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेड़राय..."
- "आदित लिहो मोर अरगिया., दरस देखाव ए दीनानाथ..."
- "उगी है सुरुजदेव., हे छठी मइया तोहर महिमा अपार..."
- "कांच ही बास के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय..."
ये गीत पर्व की भावनात्मक गहराई को दर्शाते हैं। ये गीत न केवल छठी मइया और सूर्य देव की स्तुति करते हैं, बल्कि प्राकृतिक तत्वों जैसे बांस, केला, और सूर्य की महिमा का भी वर्णन करते हैं, जो इस पर्व को प्रकृति पूजा का महापर्व बनाते हैं।
सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारी: सुरक्षित छठ पर्व सुनिश्चित करना
छठ पर्व के दौरान घाटों पर लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है, जिसे देखते हुए राज्य सरकारों और जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
- सुरक्षा व्यवस्था: राज्य सरकार ने सभी जिला प्रशासन को हर छठ घाट पर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। प्रमुख घाटों पर गोताखोरों के साथ-साथ पर्याप्त संख्या में पुलिस और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
- घाटों का निरीक्षण: राजधानी में गंगा घाटों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। खतरनाक घोषित किए गए घाटों पर आवाजाही प्रतिबंधित की गई है, और सभी घाटों की साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था तथा गहरे पानी को चिन्हित करने का कार्य तेजी से पूरा किया गया है।
- भीड़ प्रबंधन: जिला प्रशासन का मुख्य उद्देश्य किसी भी तरह की भगदड़ या अप्रिय घटना को रोकना है। इसके लिए प्रमुख रास्तों पर यातायात को नियंत्रित किया गया है और स्वयंसेवकों की टीमें भी तैनात की गई हैं।
यह सुनिश्चित किया गया है कि व्रतियों और श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम तरीके से अर्घ्य देने की सुविधा मिल सके, ताकि आस्था का यह पर्व बिना किसी बाधा के संपन्न हो।
संध्या अर्घ्य का आध्यात्मिक महत्व: अस्त होते सूर्य की वंदना क्यों?
जहां अधिकांश हिंदू अनुष्ठानों में उगते सूर्य (उदय अर्घ्य) की पूजा की जाती है, वहीं छठ पूजा में अस्त होते सूर्य की वंदना करने की अनूठी परंपरा है। इसका गहरा आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व है:
जीवन चक्र का सम्मान: अस्त होता सूर्य, जीवन के अंत, मृत्यु, और क्षय का प्रतीक है। डूबते सूर्य की पूजा यह संदेश देती है कि हमें जीवन के हर चरण—उदय (जन्म) और अस्त (मृत्यु) —का सम्मान करना चाहिए। यह स्वीकार्यता जीवन के द्वंद्व को संतुलित करती है।समानता का प्रतीक: यह पर्व इस बात का प्रतीक है कि शक्ति और प्रकाश चाहे किसी भी अवस्था में हों, वे पूजनीय हैं। यह हमें बताता है कि हमें केवल सफल या 'उगते' लोगों को ही नहीं, बल्कि हाशिये पर खड़े, 'डूबते' हुए लोगों को भी महत्व देना चाहिए।
स्वास्थ्य और ऊर्जा: छठ पूजा में वैज्ञानिक महत्व भी निहित है। यह माना जाता है कि सूर्य की डूबती और उगती किरणें (विशेष रूप से दृश्य स्पेक्ट्रम की अंतिम किरणें) शरीर और मन के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होती हैं। व्रती पानी में खड़े होकर इन किरणों को सीधे ग्रहण करते हैं।
TheTrendingPeople.com के अंतिम विचार
छठ महापर्व, अपनी कठोरता, पवित्रता और प्रकृति-प्रेम के साथ, भारतीय संस्कृति की एक अद्वितीय मिसाल है। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामुदायिक एकजुटता, स्वच्छता और अनुशासन का प्रतीक भी है। आज संध्या अर्घ्य के इस विशेष दिन पर, यह आवश्यक है कि सभी व्रती दिए गए समय सारिणी का पालन करें और प्रशासनिक निर्देशों का सम्मान करें। TheTrendingPeople.com परिवार सभी व्रतियों के लिए इस कठिन व्रत की सफलता और छठी मइया के आशीर्वाद की कामना करता है। अपनी धार्मिक आस्था के साथ, सुरक्षित रहें, स्वच्छ रहें और पर्व की दिव्यता बनाए रखें।