शरद ऋतु में रखें खान-पान और जीवनशैली का ध्यान: आयुर्वेद से जानें सेहतमंद रहने के उपायImage via IANS
शरद ऋतु: परिवर्तन का समय, सावधानी का मौसम
शरद ऋतु वर्ष का वह समय है जब प्रकृति के साथ-साथ शरीर में भी बदलाव आते हैं। गर्मी और वर्षा के बाद यह ऋतु शरीर को नए सिरे से संतुलित करने का अवसर देती है।
आयुर्वेद के अनुसार, इस समय पित्त दोष बढ़ता है — जिससे त्वचा में जलन, पसीना, आंखों में जलन, चिड़चिड़ापन, फोड़े-फुंसी और अम्ल पित्त जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, “जो व्यक्ति ऋतु के अनुसार आहार और व्यवहार अपनाता है, वही दीर्घायु और स्वस्थ रहता है।” इसलिए शरद ऋतु में खान-पान और दिनचर्या पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।
आयुर्वेदिक दृष्टि से शरद ऋतु का प्रभाव
आयुर्वेद में कहा गया है कि वर्षा ऋतु के बाद शरीर में जमे हुए पित्त का प्रभाव शरद ऋतु में बढ़ता है।
इस दौरान गर्मी, त्वचा की रूखापन, आंखों में जलन और पाचन की गड़बड़ी जैसी दिक्कतें आम हैं।
शरीर के भीतर जमा अतिरिक्त गर्मी को बाहर निकालने के लिए ठंडे, शीतल और पचने में आसान भोजन की सिफारिश की जाती है।
क्या खाएं: पित्त को शांत करने वाले आहार
शरद ऋतु में ऐसा भोजन करना चाहिए जो शरीर को ठंडक दे, पाचन में हल्का हो और पित्त दोष को संतुलित रखे।
अनाज और दुग्ध उत्पाद
- जौ, गेहूं, चावल जैसे हल्के अनाज इस समय के लिए उपयुक्त हैं।
- ताजा दूध और दूध से बने हल्के पेय पाचन में मदद करते हैं और शरीर में संतुलन बनाए रखते हैं।
फल और सब्जियां
- मौसमी फल जैसे नारियल, जामुन, अमरूद, बेल शरीर की गर्मी को कम करते हैं।
- हरी सब्जियां जैसे लौकी, तुरई, पालक, मेथी पाचक और ठंडक देने वाली होती हैं।
- आंवला रस और नींबू पानी डिटॉक्स के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
स्वाद और मसाले
- हल्के मसालों जैसे धनिया, सौंफ और जीरा का प्रयोग करें।
- अत्यधिक तीखे, खट्टे या तले मसालों से परहेज करें।
क्या न खाएं: पित्त बढ़ाने वाले भोजन से परहेज करें
शरद ऋतु में पित्त दोष को नियंत्रित रखने के लिए कुछ चीजों से बचना जरूरी है:
- तीखा और मसालेदार भोजन
- तला-भुना और अत्यधिक तेलयुक्त खाना
- चाय, कॉफी, शराब और मांसाहारी आहार
- अत्यधिक मीठा या खट्टा भोजन
इस समय पाचन अग्नि सामान्य से कमजोर होती है, इसलिए भारी और देर से पचने वाला भोजन शरीर पर अतिरिक्त बोझ डालता है।
आयुर्वेदिक घरेलू उपाय: पित्त शमन के प्राकृतिक तरीके
आयुर्वेद में शरद ऋतु के लिए कुछ आसान और असरदार घरेलू नुस्खे बताए गए हैं:
- सौंफ और धनिया का काढ़ा: यह शरीर की गर्मी को शांत करता है।
- नारियल पानी: प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर और ठंडक देने वाला पेय।
- आंवला शरबत: विटामिन C का प्राकृतिक स्रोत, त्वचा और पाचन के लिए फायदेमंद।
- शतावरी दूध: शरीर को पोषण देता है और मानसिक शांति बढ़ाता है।
इन उपायों से शरीर में पित्त का स्तर नियंत्रित रहता है और संक्रमण की संभावना कम होती है।
जीवनशैली में बदलाव: दिनचर्या से संतुलन बनाए रखें
शरद ऋतु में केवल खान-पान ही नहीं, बल्कि दिनचर्या (दिनचर्या) पर ध्यान देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
सुबह की दिनचर्या
- सूर्योदय से पहले उठें और ठंडे या गुनगुने पानी से स्नान करें।
- नाक में घृत या अनु तेल की कुछ बूंदें डालें — यह नासिका मार्ग को शुद्ध करता है और सिरदर्द से बचाता है।
दोपहर और रात का भोजन
- दोपहर का भोजन हल्का रखें और समय पर करें।
- रात के भोजन के बाद थोड़ी देर टहलना (चंद्रप्रभा चिकित्सा) पित्त को शांत करता है और नींद को संतुलित करता है।
पानी पीने का तरीका
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना इस मौसम में विशेष लाभदायक है।
- यह पानी शरीर को शुद्ध करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
शरद ऋतु का महत्व: सुंदरता के साथ शुद्धता का भी मौसम
शरद ऋतु केवल प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक नहीं, बल्कि यह शरीर को शुद्ध और संतुलित करने का काल भी है।
यह मौसम हमें यह याद दिलाता है कि हमारी सेहत प्रकृति के साथ जुड़ी हुई है।
यदि हम आयुर्वेद के सिद्धांतों का पालन करें, तो शरद ऋतु शरीर और मन दोनों के लिए पुनर्जीवन का अवसर बन सकती है।
दी ट्रेंडिंग पीपल की राय
शरद ऋतु प्रकृति का वह अध्याय है जो हमें संतुलन सिखाता है — चाहे वह शरीर का हो या मन का।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण अपनाकर, उचित आहार, सरल जीवनशैली और प्राकृतिक उपचारों से हम इस मौसम का अधिकतम लाभ ले सकते हैं।
स्वस्थ जीवन की कुंजी यही है — ऋतु के अनुरूप जीवनशैली अपनाएं और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखें।