बिहार विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा ने जारी की पहली उम्मीदवार सूची, 71 नामों का ऐलान, कई नए चेहरे मैदान में
भाजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए जारी की पहली सूची
पटना, 14 अक्टूबर (दी ट्रेंडिंग पीपल) - बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सियासी सरगर्मी तेज़ हो गई है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करते हुए 71 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की। इस सूची में कई पुराने विधायकों के टिकट काटे गए हैं और नए चेहरों को मौका दिया गया है। पार्टी ने अपनी पहली सूची में 9 महिला उम्मीदवारों, 4 अनुसूचित जाति और 1 अनुसूचित जनजाति उम्मीदवार को टिकट दिया है।
भाजपा की इस सूची में दोनों उपमुख्यमंत्री—विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी—को भी उम्मीदवार घोषित किया गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व पर भरोसा कायम रखे हुए है।
पहली सूची में किन-किन को मिला मौका
पहली सूची के मुताबिक भाजपा ने प्रदेश के सभी इलाकों से संतुलन साधने की कोशिश की है।
उत्तर बिहार से लेकर मगध और सीमांचल तक विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं को मौका दिया गया है।
प्रमुख उम्मीदवारों में शामिल हैं:
- बेतिया से रेणु देवी
- रक्सौल से प्रमोद कुमार सिन्हा
- मधुबन से राणा रणधीर सिंह
- मोतिहारी से प्रमोद कुमार
- ढाका से पवन जायसवाल
- सीवान से मंगल पांडेय
- दरभंगा से संजय सरावगी
- हाजीपुर से अवधेश सिंह
- भागलपुर से रोहित पांडेय
- बांकीपुर से नितिन नबीन
- पटना साहिब से रत्नेश कुशवाहा
- दानापुर से रामकृपाल यादव
- तारापुर से सम्राट चौधरी
- लखीसराय से विजय कुमार सिन्हा
- गया शहर से प्रेम कुमार
- जमुई से श्रेयसी सिंह
इन नामों से यह साफ झलकता है कि भाजपा ने संगठन और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर अपने उम्मीदवारों का चयन किया है।
पुराने नेताओं की छुट्टी, नए चेहरों को मौका
सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने इस बार "परफॉर्मेंस और जनसंपर्क" को प्रमुख मानक माना है। पार्टी ने कई पुराने विधायकों का टिकट काटते हुए नए, युवा और जमीनी नेताओं को मौका दिया है।
पटना के राजनीतिक विश्लेषक अजय झा ने दी ट्रेंडिंग पीपल से बातचीत में कहा,
“भाजपा इस बार ‘युवा नेतृत्व’ और ‘लोकल कनेक्ट’ पर जोर दे रही है। पार्टी चाहती है कि मतदाताओं के बीच नई ऊर्जा और बदलाव का संदेश जाए।”
एनडीए के भीतर सीट बंटवारा और समीकरण
बिहार में एनडीए गठबंधन के तहत भाजपा को कुल 101 सीटें मिली हैं। बाकी सीटें जनता दल (यू), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम), और अन्य सहयोगी दलों के हिस्से में गई हैं।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने अपने हिस्से की अधिकांश सीटों पर अब रणनीति तय कर ली है, जबकि बची हुई सीटों पर दूसरे चरण में उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जाएंगे।
एनडीए के भीतर सीट बंटवारे के बाद यह साफ है कि भाजपा इस बार 2020 के मुकाबले अधिक आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतर रही है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि: क्यों अहम है यह चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ राज्य के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी अहम माना जा रहा है।
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया था, और अब पार्टी राज्य स्तर पर उस सफलता को दोहराने की कोशिश में है।
दूसरी ओर, महागठबंधन के तहत राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस ने भी अपनी तैयारियां तेज़ कर दी हैं।
इस बार का चुनाव विकास, बेरोजगारी, जातीय समीकरण और केंद्र-राज्य संबंध जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहने की संभावना है।
महिलाओं और सामाजिक समीकरण पर फोकस
भाजपा ने पहली सूची में 9 महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दे रही है।
इसके अलावा, 4 अनुसूचित जाति (SC) और 1 अनुसूचित जनजाति (ST) उम्मीदवारों को भी स्थान दिया गया है।
राजनीतिक विश्लेषक नीलम वर्मा का कहना है,
“भाजपा ने सामाजिक समीकरण को संतुलित रखने की कोशिश की है। महिलाएं और पिछड़े वर्ग बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, और भाजपा इसे भलीभांति समझती है।”
मैदान में उतरने को तैयार भाजपा के बड़े चेहरे
भाजपा की पहली सूची में कई दिग्गज चेहरे दोबारा मैदान में हैं।
लखीसराय से विजय कुमार सिन्हा, तारापुर से सम्राट चौधरी, और गया से प्रेम कुमार जैसे वरिष्ठ नेता इस चुनाव में पार्टी की कमान संभालेंगे।
विजय कुमार सिन्हा ने नामांकन से पहले कहा,
“हम जनता के विकास और सुशासन के एजेंडे पर चुनाव लड़ेंगे। बिहार के लोग स्थिरता और प्रगति के पक्ष में हैं।”
स्थानीय स्तर पर प्रतिक्रिया
भाजपा की पहली सूची जारी होते ही राज्यभर में कार्यकर्ताओं में उत्साह देखा गया।
पटना स्थित भाजपा कार्यालय में सुबह से ही समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी।
कार्यकर्ताओं ने फूल-मालाएं पहनाकर उम्मीदवारों को बधाई दी।
वहीं कुछ सीटों पर टिकट न मिलने से असंतोष की खबरें भी सामने आई हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने स्थिति संभालने के निर्देश दिए हैं।
राजनीतिक विश्लेषण: भाजपा की रणनीति क्या कहती है
विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने इस बार ‘मिश्रित रणनीति’ अपनाई है—कुछ क्षेत्रों में अनुभव, तो कुछ जगह युवा नेतृत्व।
यह संतुलन चुनावी दृष्टि से भाजपा के लिए लाभदायक साबित हो सकता है, खासकर तब जब महागठबंधन सीट-समझौते में उलझा हुआ है।
दी ट्रेंडिंग पीपल की राय
भाजपा की यह पहली सूची बिहार चुनाव की दिशा तय कर सकती है।
पार्टी ने जिस तरह से नए और पुराने नेताओं के बीच संतुलन बनाया है, उससे यह साफ है कि वह जनता के मूड को समझकर आगे बढ़ना चाहती है।
हालांकि, असंतोष और स्थानीय समीकरण आगे चलकर चुनौती बन सकते हैं।
अगले चरण की सूची और एनडीए के प्रचार अभियान से यह तय होगा कि क्या भाजपा बिहार में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रख पाएगी या विपक्ष इस बार कोई बड़ा उलटफेर करेगा।
दी ट्रेंडिंग पीपल (hindi.TheTrendingPeople.com)
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