अगले पांच वर्षों में भारतीय कंपनियों का पूंजीगत व्यय दोगुना होकर 800 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान: S&P रिपोर्ट
S&P रिपोर्ट: भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर में निवेश का नया युग
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (दी ट्रेंडिंग पीपल) - भारत की बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों का पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) अगले पांच वर्षों में दोगुना होकर 800 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
यह दावा एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) द्वारा मंगलवार को जारी एक ताजा रिपोर्ट में किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियों के मुनाफे, स्थिर आर्थिक वातावरण और सरकारी नीतियों के चलते भारत कॉर्पोरेट निवेश के नए युग में प्रवेश कर रहा है।
2000 के दशक के चीन जैसी वृद्धि की संभावना
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कंपनियों की विकास दर आने वाले वर्षों में 2000 के दशक में चीन के कॉर्पोरेट सेक्टर जैसी हो सकती है।
S&P का कहना है कि भारत की शीर्ष कंपनियों की आय और पूंजीगत निवेश में तेज़ बढ़ोतरी देखने को मिलेगी, जो देश के औद्योगिक और बुनियादी ढांचे के विस्तार को गति देगी।
रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2026 से 2030 के बीच भारत का कॉर्पोरेट कैपेक्स (Capex) लगभग 800 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, विनिर्माण और तकनीकी क्षेत्रों में सबसे अधिक निवेश देखने को मिलेगा।
दीर्घकालिक निवेश और रिसर्च पर जोर
S&P ग्लोबल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2031 से 2035 के बीच एडवांस्ड रिसर्च, इनोवेशन और तकनीकी विकास के लिए लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर का अतिरिक्त निवेश होने की संभावना है।
यह निवेश भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता और वैश्विक सप्लाई-चेन में उसकी हिस्सेदारी को और मजबूत करेगा।
इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्थिर नीतियां बना रहीं हैं माहौल अनुकूल
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के क्रेडिट एनालिस्ट नील गोपालकृष्णन ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा —
“इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार, राजनीतिक स्थिरता और कॉर्पोरेट बैलेंस शीट की मजबूती ने भारतीय कंपनियों के लिए बड़े विस्तार योजनाओं का रास्ता खोल दिया है। इससे आने वाले वर्षों में भारत का राजस्व आधार और कॉर्पोरेट लाभ दोनों बढ़ेंगे।”
उन्होंने आगे कहा,
“सहायक सरकारी नीतियां, घरेलू आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Bharat), निर्यात को बढ़ावा और सप्लाई-चेन इकोसिस्टम का विकास भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर की वृद्धि में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।”
भारत बनाम चीन: समान राह, अलग चुनौतियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक संरचना में जो बदलाव हो रहे हैं, वे 2000 के दशक में चीन की वृद्धि यात्रा से काफी हद तक मेल खाते हैं।
चीन का कॉर्पोरेट विस्तार उस समय कम व्यापार बाधाओं, विदेशी निवेश में तेजी और दोहरे अंकों की जीडीपी ग्रोथ से प्रेरित था।
हालांकि, S&P का मानना है कि भारत को इस दौर में चीन जैसी वित्तीय आसानी नहीं मिलेगी।
“भारतीय कंपनियों को अपने उच्च-विकास चरण में चीनी कॉर्पोरेट्स की तुलना में अधिक सख्त वित्तीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा,” रिपोर्ट में कहा गया है।
लेकिन यह भी जोड़ा गया है कि “ऐसी परिस्थितियां भारतीय कंपनियों को चीन की तरह भारी ऋण संचय से बचा सकती हैं।”
इसका अर्थ है कि भारत का कॉर्पोरेट सेक्टर अधिक स्थायी (Sustainable) और वित्तीय रूप से अनुशासित रहेगा।
कैपेक्स ग्रोथ के प्रमुख सेक्टर
S&P रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले वर्षों में जिन क्षेत्रों में सर्वाधिक पूंजीगत निवेश होगा, वे हैं:
- इन्फ्रास्ट्रक्चर और निर्माण (Infrastructure & Construction)
- ऊर्जा और अक्षय स्रोत (Energy & Renewables)
- ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग (Automobile & Manufacturing)
- आईटी और डिजिटल सेवाएं (IT & Digital Services)
- फार्मास्युटिकल्स और हेल्थकेयर (Pharma & Healthcare)
रिपोर्ट का मानना है कि सप्लाई-चेन लोकलाइजेशन, मेक इन इंडिया, और पीएलआई (Production Linked Incentive) योजनाएं इस पूंजी निवेश को और गति देंगी।
सरकारी नीतियों की भूमिका
रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि भारत सरकार की दीर्घकालिक आर्थिक नीतियां कॉर्पोरेट निवेश को दिशा दे रही हैं।
“राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP)”, “गति शक्ति योजना”, और “मेक इन इंडिया” जैसे कार्यक्रमों ने घरेलू और विदेशी निवेशकों के भरोसे को बढ़ाया है।
इसके साथ ही, राजनीतिक स्थिरता, टैक्स सुधार, और डिजिटलीकरण ने कारोबारी माहौल को पहले से अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाया है।
वैश्विक निवेशकों की नजर भारत पर
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि भारत आने वाले दशक में एशिया का नया निवेश केंद्र (Investment Hub) बन सकता है।
अमेरिका, जापान और यूरोप की कई कंपनियां भारत में सप्लाई-चेन डाइवर्सिफिकेशन के तहत अपने उत्पादन केंद्र स्थापित करने पर विचार कर रही हैं।
S&P की रिपोर्ट बताती है कि यह प्रवृत्ति भारतीय कंपनियों की कैपेक्स ग्रोथ में बड़ा योगदान देगी और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देगी।
विशेषज्ञों की राय
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्री डॉ. आर.के. शर्मा का कहना है —
“भारत अभी उस स्थिति में है जहां 2000 में चीन था। लेकिन अंतर यह है कि भारत का विकास मॉडल ‘सस्टेनेबल और समावेशी’ है। अगर पूंजी निवेश सही दिशा में हुआ, तो यह भारत को अगले दशक में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना सकता है।”
दी ट्रेंडिंग पीपल की राय
S&P की रिपोर्ट भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति और कॉर्पोरेट आत्मनिर्भरता की ओर इशारा करती है।
यदि सरकार और उद्योग जगत मिलकर इस निवेश प्रवाह को सही दिशा में ले जाते हैं, तो भारत न केवल एशिया, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
आने वाले पांच वर्ष भारतीय कॉर्पोरेट जगत के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं — यह वह समय है जब भारत ‘विकास की नई कहानी’ लिख रहा है।