भारत में जीएसटी सुधार: हेडलाइन मुद्रास्फीति में कमी और उपभोग व्यय में वृद्धि की उम्मीद
नई दिल्ली, भारत (हिंदी द ट्रेंडिंग पीपल) – बैंक ऑफ बड़ौदा की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जीएसटी सुधारों के परिणामस्वरूप हेडलाइन मुद्रास्फीति (CPI) में 55-75 आधार अंकों तक की कमी आ सकती है और घरेलू उपभोग व्यय में 70,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपए तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी सुधारों से प्रभावी कर दरें लगभग 10-11 प्रतिशत तक कम हो जाएंगी, जिससे उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा सकारात्मक असर पड़ेगा।
हेडलाइन मुद्रास्फीति पर असर
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिसर्च विंग ने रिपोर्ट में बताया कि, "सीपीआई पर इसका समग्र प्रभाव लगभग 55-75 आधार अंकों का रहने की उम्मीद है। इसलिए हम हेडलाइन सीपीआई के अपने अनुमान को 3.5 प्रतिशत से घटाकर 3.1 प्रतिशत कर रहे हैं।"
विश्लेषकों का मानना है कि कम अप्रत्यक्ष कर दरें मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद करेंगी और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी।
उपभोग व्यय में बढ़ोतरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर योग्य उपभोग समूह का अनुमान 150-160 लाख करोड़ रुपए है। नए जीएसटी अनुपात के लागू होने के बाद, यह राशि और बढ़ सकती है।
बैंक ने बताया कि उपभोग में 70,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपए तक का शुद्ध लाभ हो सकता है, जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 0.2-0.3 प्रतिशत है। सरकार ने राजस्व पर 48,000 करोड़ रुपए का प्रभाव आंका है, लेकिन इसका सीधा लाभ निजी उपभोग को मिलेगा।
खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले 6 महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति में 25-35 आधार अंकों की कमी देखने को मिल सकती है। मक्खन और वनस्पति तेल की कीमतों में गिरावट के कारण प्रीपेयर्ड मील्स, तेल, ब्रेड और नूडल्स सस्ते हो गए हैं।
कोर मुद्रास्फीति में कमी
साबुन, टूथपेस्ट, घरेलू उपकरण और दवाओं पर कम दरों के कारण कोर मुद्रास्फीति में 30-40 आधार अंकों की कमी होने की संभावना है। इसके साथ ही, मक्खन, जैम, जेली, शहद और जूस जैसी नॉन-ड्यूरेबल प्रोडक्ट्स की मांग में वृद्धि की उम्मीद है।
त्योहारी सीजन और ऋण की मांग
कम दरों के चलते त्योहारी सीजन से पहले ऋण की मांग में वृद्धि की संभावना है। इससे उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा और घरेलू मांग को मजबूती मिलेगी।
बैंक ने कहा कि इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) ग्रोथ को भी घरेलू मांग से महत्वपूर्ण समर्थन मिलने की उम्मीद है।
अंतिम विचार – हिंदी द ट्रेंडिंग पीपल
भारत में जीएसटी सुधार न केवल मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं, बल्कि उपभोग व्यय और घरेलू मांग में वृद्धि के माध्यम से अर्थव्यवस्था को भी गति देंगे। कम कर दरों से न केवल आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि उद्योग और उत्पादन क्षेत्रों को भी बढ़ावा मिलेगा।