2025 में 54.3 अरब डॉलर का भारत का सेमीकंडक्टर बाजार अगले पांच वर्षों में दोगुना होने की राह पर
नई दिल्ली, 11 सितंबर (हिंदी द ट्रेंडिंग पीपल) – भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2025 में 54.3 अरब डॉलर का अनुमानित मूल्य लेकर खड़ा है और अगले पांच वर्षों में यह 103.5 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। गुरुवार को जारी वर्कफोर्स सॉल्यूशन प्रोवाइडर क्वेस कॉर्प की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 13.8 प्रतिशत CAGR से बढ़ रहा है, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है।
कंपनी के अनुसार, देश की सेमीकंडक्टर कहानी अभी भी उन उपकरणों पर आधारित है, जिनका हम रोजमर्रा में इस्तेमाल करते हैं, जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप और इंडस्ट्रियल सिस्टम, जो कुल बाजार का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों और 5जी रोलआउट बढ़ा रहे मांग
रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बढ़ती मांग, 5जी नेटवर्क का विस्तार और डेटा सेंटरों का तेजी से निर्माण एडवांस्ड चिप्स के बाजार को तेजी से बढ़ा रहा है। 2030 तक हाइपरस्केल डेटा सेंटर की क्षमता में 75 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि नई वाहनों में लगभग एक तिहाई इलेक्ट्रिक वाहन होने का लक्ष्य रखा गया है।
क्वेस कॉर्प के आईटी स्टाफिंग सीईओ कपिल जोशी ने कहा,
"भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग एक निर्णायक दशक में प्रवेश कर रहा है। सरकार आईएसएम 2.0 के लिए मंज़ूरी देने में तेजी दिखा रही है, जो 10 अरब डॉलर से अधिक होने की संभावना रखती है। यह रिपोर्ट अवसरों और प्रतिभा तत्परता दोनों पर प्रकाश डालती है।"
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन: घरेलू क्षमता का आधार
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत देश में घरेलू क्षमता बनाने के लिए लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जो 29,000 नए रोजगारों का समर्थन करेंगी। यह पहल भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने की दिशा में काम कर रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, रोजमर्रा के उपकरणों से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों और एडवांस डेटा सेंटरों तक सेमीकंडक्टर की मांग हर क्षेत्र में बढ़ रही है, और भारत इस वैश्विक मांग का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है।
भारत में सेमीकंडक्टर वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC)
भारत अब केवल बैक-एंड सपोर्ट यूनिट नहीं रहा। लगभग आधे नए चिप प्रोजेक्टों में अब एआई एक्सेलरेटर शामिल हैं, जबकि एक-तिहाई वेरिफिकेशन टीम मशीन लर्निंग का उपयोग कर रही है।
क्वेस कॉर्प ने बताया,
"इंजीनियर पहले से ही मल्टी-डाई इंटीग्रेशन, एआई-असिस्टेड प्लेस-एंड-रूट, TinyML फर्मवेयर और एआई-ड्रिवन टाइमिंग क्लोजर जैसे नेक्स्ट जेन डोमेन पर काम कर रहे हैं। यह प्रगति भारत को एआई-फर्स्ट डिजाइन वर्कफ्लो का टेस्टिंग ग्राउंड बनाती है।"
भारत का सेमीकंडक्टर वर्कफोर्स
भारत में पहले से ही 2,50,000 से अधिक सेमीकंडक्टर पेशेवर कार्यरत हैं। 2024-25 में 43,000 नई नियुक्तियां हुईं, और अनुमान है कि यह पूल 2030 तक 4 लाख तक बढ़ जाएगा। इस वृद्धि के साथ भारत अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर हब बन जाएगा।
वर्कफोर्स विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई है, जिनमें शामिल हैं:
- डिजाइन
- एम्बेडेड सिस्टम
- ईडीए टूल डेवलपमेंट
- एटीएमपी मैन्युफैक्चरिंग
यह दर्शाता है कि भारत समग्र वैल्यू चेन में क्षमता का निर्माण कर रहा है।
वैश्विक और राष्ट्रीय महत्व
भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एआई, मशीन लर्निंग और एडवांस्ड चिप डिजाइन में निवेश भारत को तकनीकी अग्रणी के रूप में स्थापित कर रहा है।
क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों, 5जी नेटवर्क और डेटा सेंटर का विस्तार निरंतर बढ़ रहा है, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 100 अरब डॉलर से अधिक मूल्य तक पहुंचने की राह पर है।
अंतिम विचार – हिंदी द ट्रेंडिंग पीपल
भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। घरेलू क्षमता निर्माण, वैश्विक निवेश और वर्कफोर्स के विकास के कारण देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन रहा है। यह उद्योग न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि भारत को वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में केंद्र बिंदु के रूप में स्थापित कर रहा है।