उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में प्राथमिक विद्यालय बंद होने पर रो पड़े बच्चे, दिव्यांग छात्रों के लिए नहीं हैं नई जगह पर सुविधाएं, बिना पूर्व सूचना लिया गया फैसला
महराजगंज (उत्तर प्रदेश), 22 जुलाई — उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले से एक ऐसा मार्मिक दृश्य सामने आया है जिसने हर संवेदनशील दिल को झकझोर कर रख दिया है। जिले के रुद्रपुर भुरहुती गांव में जब एक प्राथमिक विद्यालय को अचानक बंद कर दिया गया, तो वहां पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे बिलख पड़े। खासकर एक दिव्यांग छात्रा की आंखों से निकले आंसू और उसकी लाचारी ने इस फैसले को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
"मैडम जी, हम कहीं नहीं जाएंगे..."
सोमवार की सुबह जब बच्चे रोज की तरह यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल पहुंचे, तो उन्हें बंद गेट देखकर पहले तो समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। जैसे ही उन्हें पता चला कि उनका स्कूल अब हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है, तो कई बच्चे रोने लगे। एक बच्चा अपनी शिक्षिका से लिपटकर बिलखते हुए बोला – "मैडम जी, हम कहीं नहीं जाएंगे, हम यहीं पढ़ेंगे।" इस दृश्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
सरकारी मर्जर नीति के तहत बंद किया गया स्कूल
दरअसल, यह बंदी योगी सरकार की मर्जर (विलय) नीति के तहत की गई है, जिसमें कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पास के अन्य विद्यालयों में मिला दिया जाता है। इस स्कूल के छात्रों को अब कस्तूरटन प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट किया गया है। लेकिन न तो बच्चों और न ही उनके अभिभावकों को इसकी कोई पूर्व सूचना दी गई थी।
दिव्यांग छात्रा ने कहा – “मैं वहाँ नहीं जा सकती”
इस घटनाक्रम में सबसे ज्यादा तकलीफ एक दिव्यांग छात्रा के चेहरे पर झलकती है, जिसने रोते हुए कहा कि वह नए स्कूल तक नहीं पहुंच सकती। उसने साफ तौर पर बताया कि उसके लिए वहाँ जाना संभव नहीं है, क्योंकि न तो रास्ता सुविधाजनक है और न ही स्कूल में कोई दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्था है।
शिक्षकों और अभिभावकों ने जताई नाराजगी
शिक्षिका अमिता राय और रीना शर्मा ने बताया कि जिस स्कूल में बच्चों को भेजा गया है, वहाँ मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। “शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है, दिव्यांग बच्चों के लिए कोई भी विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं है,” उन्होंने कहा। अभिभावकों का भी यही कहना है कि प्रशासन ने बिना किसी पूर्व योजना या सलाह के यह फैसला थोप दिया है, जिससे बच्चों की शिक्षा और मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
बिना तैयारी के लिया गया फैसला?
अभिभावकों और ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस तरह के फैसले लेने से पहले स्थानीय समुदाय की राय जरूर ली जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि:
- बिना सूचना के बच्चों का स्कूल क्यों बंद किया गया?
- क्या दिव्यांग बच्चों की सुविधा के बारे में प्रशासन ने सोचा?
- क्या किसी प्रकार की सामुदायिक बैठक हुई थी?
- क्या नए स्कूल की दूरी और स्थितियों का ठीक से आकलन हुआ?
प्रशासन की चुप्पी, बच्चों की तकलीफ
फिलहाल प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन जो दृश्य सामने आया है, वह बताता है कि नीति और ज़मीनी हकीकत के बीच अब भी एक गहरी खाई मौजूद है। स्कूल केवल एक भवन नहीं होता, वह बच्चों के सपनों, भावनाओं और भविष्य की बुनियाद होता है। उसे अचानक बंद कर देना न केवल बच्चों की पढ़ाई को बाधित करता है, बल्कि उनके मनोबल और भरोसे को भी गहरी चोट पहुंचाता है।
यह केवल एक स्कूल का मामला नहीं
यह मामला महज रुद्रपुर भुरहुती गांव तक सीमित नहीं है। प्रदेश भर में कम छात्र संख्या वाले सैकड़ों प्राथमिक स्कूलों को बंद कर या मर्ज किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य संसाधनों के बेहतर उपयोग और गुणवत्ता सुधारना है, लेकिन जब यह प्रक्रिया मानवीय दृष्टिकोण और बच्चों की आवश्यकताओं को दरकिनार करके की जाती है, तो नतीजे ऐसे ही भावनात्मक और पीड़ादायक हो सकते हैं।
FAQ: इस मामले से जुड़े प्रमुख सवाल
Q1. कौन-सा स्कूल बंद किया गया है?
A. रुद्रपुर भुरहुती गांव का प्राथमिक विद्यालय बंद किया गया है।
Q2. बच्चों को अब कहाँ भेजा गया है?
A. बच्चों को अब कस्तूरटन प्राथमिक विद्यालय में भेजा गया है।
Q3. सबसे अधिक परेशानी किसे हो रही है?
A. छोटे और दिव्यांग बच्चों को सबसे अधिक कठिनाई हो रही है।
Q4. क्या नए स्कूल में सुविधाएं मौजूद हैं?
A. नहीं, वहाँ शौचालयों की स्थिति खराब है और दिव्यांग छात्रों के लिए कोई विशेष सुविधा नहीं है।
Q5. क्या यह फैसला किसी परामर्श के बाद लिया गया?
A. नहीं, स्थानीय लोगों के अनुसार यह निर्णय अचानक और बिना किसी परामर्श के लागू कर दिया गया।
TheTrendingPeople.com की टीम प्रशासन से अपील करती है कि शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की योजनाएं मानवीय दृष्टिकोण से बनाई जाएं और सबसे पहले बच्चों की सुविधा व हितों को प्राथमिकता दी जाए।
यदि आपको इस विषय पर कुछ कहना है या ऐसी ही किसी घटना की जानकारी देना चाहते हैं, तो हमें ज़रूर लिखें।