पीएमएफएमई योजना: गुजरात में 675 लाभार्थियों ने बदला जीवन, फूड प्रोसेसिंग में आत्मनिर्भरता की ओर भारत
नई दिल्ली: कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत के पास फूड प्रोसेसिंग (खाद्य प्रसंस्करण) क्षेत्र में अग्रणी बनने का सुनहरा अवसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के तहत केंद्र सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्राथमिकता देने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण योजना है- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) योजना। यह योजना देश भर में सूक्ष्म और असंगठित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सशक्त कर रही है, जिससे वे न केवल अपनी आजीविका सुधार सकें बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
पीएमएफएमई योजना: उद्देश्य और लाभ
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा 29 जून, 2020 को शुरू की गई पीएमएफएमई योजना का उद्देश्य सूक्ष्म और असंगठित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को वित्तीय सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण और व्यवसाय संबंधी सहायता प्रदान कर उनका उन्नयन और औपचारिकीकरण (फॉर्मलाइजेशन) करना है। यह योजना इन छोटे उद्यमों को संगठित क्षेत्र में लाने और उन्हें आधुनिक तकनीकों से लैस करने पर केंद्रित है।
पीएमएफएमई योजना के अंतर्गत सूक्ष्म खाद्य व्यवसायों को कई प्रकार के लाभ प्रदान किए जाते हैं:
- सब्सिडी: परियोजना लागत पर 35 फीसदी की सब्सिडी (अधिकतम 10 लाख रुपए तक) प्रदान की जाती है, जिससे छोटे उद्यमियों के लिए पूंजी जुटाना आसान हो जाता है।
- प्रारंभिक वित्त पोषण (सीड कैपिटल): स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के प्रत्येक सदस्य के लिए 40,000 रुपए का प्रारंभिक वित्त पोषण दिया जाता है, जिससे वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकें।
- ब्रांडिंग और मार्केटिंग सहायता: उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए 50 फीसदी सहायता प्रदान की जाती है, जिससे उन्हें बड़े बाजारों तक पहुंचने में मदद मिलती है।
- प्रशिक्षण: टेक्निकल और व्यावसायिक कौशल में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे उद्यमियों की क्षमता बढ़ती है और वे अपने उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार कर सकें।
गुजरात में पीएमएफएमई योजना की सफलता
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने पीएमएफएमई योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करते हुए राज्य में इसके प्रभावी कार्यान्वयन का एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है। गुजरात में अब तक 675 लाभार्थियों ने इस योजना का लाभ उठाया है, जिससे राज्य के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा मिला है।
राज्य ने केंद्रीय समर्थन के माध्यम से बेहतर टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के विकास को गति दी है और नए बाजारों में उनका प्रवेश सुनिश्चित किया है। ये प्रयास 'विकसित भारत' के विजन के अनुरूप हैं और समावेशी आर्थिक विकास के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। गुजरात की सफलता अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन रही है।
जीवन में परिवर्तन का सशक्त जरिया: सफल उदाहरण
पीएमएफएमई योजना किस प्रकार लोगों के जीवन में परिवर्तन का एक सशक्त जरिया बनी है, इसके कई शानदार उदाहरण देखने को मिलते हैं:
सुरभि वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड (नवसारी): गुजरात के नवसारी शहर के ललित ठुम्मर द्वारा एक रसोई घर से शुरू किया गया व्यवसाय आज सरहदों को पार कर गया है। ललितभाई पहले घर पर ही 1-2 किलो वेफर्स बनाकर बेचते थे। पीएमएफएमई योजना की मदद से उनके बिजनेस का इतना विस्तार हुआ कि अब वे प्रतिदिन 1.5 टन केले के वेफर्स सात देशों को निर्यात करते हैं। इस योजना के अंतर्गत ललितभाई को छीलने, टुकड़े करने और तलने की ऑटोमेटेड मशीनों के जरिए अपने उत्पादन को बढ़ाने का मौका मिला, जिससे ताजे केले के प्रसंस्करण की क्षमता प्रतिदिन 6 टन तक पहुंच गई। इससे स्वच्छता, एक समान गुणवत्ता, लंबी शेल्फ लाइफ के साथ कंपनी के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों के द्वार खुल गए। आज सुरभि वेफर्स एशिया, यूरोप और मध्य-पूर्व के देशों में अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं, कारोबार का विस्तार होने से स्थानीय रोजगार का भी सृजन हुआ है।
बकुलेश डी. नागर (अहमदाबाद): अहमदाबाद के उद्यमी बकुलेश डी. नागर प्रोटीन पाउडर और एनर्जी ड्रिंक्स की अपनी रेंज के लिए जाने जाते हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों और फिटनेस सेंटरों में उनके द्वारा बनाए गए प्रोटीन पाउडर और एनर्जी ड्रिंक्स लोकप्रिय हो गए हैं, जिसके चलते बढ़ती बाजार मांग को पूरा करने के लिए उन्हें अपने कारोबार के विस्तार की आवश्यकता थी। पीएमएफएमई योजना के अंतर्गत उन्हें विशेषज्ञ मार्गदर्शन और 35 फीसदी क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी मिली, जिससे वे आधुनिक मशीनरी और अद्यतन पैकेजिंग सॉल्यूशन्स के साथ अपनी उत्पादन सुविधा को अपग्रेड कर सके। परिणामस्वरूप उत्पादन की गुणवत्ता, दक्षता और ब्रांड वैल्यू में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
मयूर वघासिया (सूरत): सूरत के मयूर वघासिया चुनौतियों को अवसरों में तब्दील करने में भरोसा करते हैं और उनके इस जज्बे को पीएमएफएमई योजना से बड़ा सहयोग मिला। केवल तीन लोगों के साथ 10x10 वर्ग फुट किराए की दुकान से शुरू हुई घनश्याम फ्लोर मिल आज तीन फैक्ट्रियों और आठ रीटेल आउटलेट्स के साथ 40 लोगों को रोजगार प्रदान करने वाला बिजनेस बन गया है। 1998 में अपना बिजनेस शुरू करने वाली घनश्याम फ्लोर मिल गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, इडली और ढोकला के आटे सहित 52 से अधिक प्रकार के आटे बनाती है। यही नहीं, इन सभी उत्पादों का निर्यात भी किया जाता है।
आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत की नींव
सफल कारोबार के ऐसे अनेक उदाहरण यह बताते हैं कि पीएमएफएमई योजना केवल इन व्यक्तियों को ही सशक्त नहीं बना रही है, बल्कि एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत की नींव भी रख रही है। यह योजना सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक बनाकर, उन्हें वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करके, और उनके उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर रही है। यह पहल 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को साकार करने और भारत को वैश्विक फूड प्रोसेसिंग हब बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।