डिजिटल हेल्थ समिट 2025: डॉ. वी.के. पॉल ने नए स्वास्थ्य समाधानों के सत्यापन पर जोर दिया
नई दिल्ली: भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के भविष्य को आकार देने के उद्देश्य से, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिष्ठित डिजिटल हेल्थ समिट 2025 के चौथे संस्करण का आयोजन नई दिल्ली में किया गया। इस समिट में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल समाधानों के सत्यापन और परीक्षण के महत्व पर विशेष जोर दिया, साथ ही सरकार और उद्योग के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
नए स्वास्थ्य समाधानों का सत्यापन और परीक्षण अनिवार्य
डॉ. वी.के. पॉल ने अपने संबोधन में कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नए स्वास्थ्य समाधानों और टेक्नोलॉजी का उचित सत्यापन और परीक्षण किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भले ही उत्पादों की संख्या कम हो, वे परिवर्तनकारी समाधान होने चाहिए, जो वास्तविक समस्याओं का समाधान कर सकें। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, उन्होंने सरकार और उद्योग के बीच अधिक तालमेल की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि नवाचारों को प्रभावी ढंग से जमीनी स्तर पर लागू किया जा सके।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र: रोकथाम, पहचान और जांच
डॉ. पॉल ने स्वास्थ्य सेवा के उन प्रमुख क्षेत्रों को भी रेखांकित किया जिन पर डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से विशेष ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए:
रिप्रोडक्टिव और बाल स्वास्थ्य: इस क्षेत्र में डिजिटल समाधानों का उपयोग मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए किया जा सकता है।
कम्युनिकेबल रोग: संक्रामक रोगों की रोकथाम, पहचान और प्रबंधन में टेक्नोलॉजी की भूमिका महत्वपूर्ण है, खासकर महामारी जैसी स्थितियों में।
नॉन-कम्युनिकेबल रोग (NCDs): मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसे गैर-संक्रामक रोगों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, टेक्नोलॉजी इन रोगों की रोकथाम, प्रारंभिक पहचान और प्रभावी जांच में कैसे मदद कर सकती है, इस पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, "हमें टेलीमेडिसिन, कागज रहित व्यवस्था, डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड आदि पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। क्योंकि सरकार और उद्योग जगत के बीच एक सहज संबंध है, इसलिए हमें मिलकर काम करना होगा और 2047 के विजन की ओर बढ़ना होगा।" यह बयान डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और एक एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली बनाने के महत्व को दर्शाता है।
व्यापक और रणनीतिक सोच की आवश्यकता
डॉ. पॉल ने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों के लिए व्यापक, गहन और अधिक रणनीतिक सोच की आवश्यकता है। उन्होंने स्वास्थ्य तकनीकों को तेजी से अपनाने और उनके स्मार्ट इस्तेमाल पर भी ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया। इसका अर्थ है कि केवल टेक्नोलॉजी को लागू करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि इसका उपयोग प्रभावी ढंग से और बुद्धिमानी से किया जाए ताकि अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।
समिट की थीम और भारत की तत्परता
इस प्रोग्राम की थीम "पावरिंग डिजिटल हेल्थ: विल इंडिया क्रिएट, कंप्लीट और कंप्लाई?" रखी गई थी, जो भारत की डिजिटल स्वास्थ्य यात्रा में प्रमुख चुनौतियों और अवसरों को दर्शाती है।
इस उच्चस्तरीय उद्घाटन सत्र में, स्केलेबल हेल्थटेक, एआई-ड्रिवन केयर और डेटा-पावर्ड सॉल्यूशन की बढ़ती वैश्विक मांग के बीच, 2030 तक अनुमानित 40 अरब डॉलर के डिजिटल हेल्थ अवसर को प्राप्त करने के लिए भारत की तत्परता पर गहन चर्चा की गई। यह दर्शाता है कि भारत डिजिटल स्वास्थ्य क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनने की क्षमता रखता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का दृष्टिकोण
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने इस अवसर पर कहा कि कोरोना महामारी के बाद मेडिकल सिस्टम को अपग्रेड किया गया, उस समय की तात्कालिकता के कारण टेक्नोलॉजी का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया गया।
उन्होंने कहा, "टेक्नोलॉजी ने हमें आपातकालीन स्थिति में पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने में सक्षम बनाया। टेक्नोलॉजी ने सुनिश्चित किया कि हम कहीं बेहतर स्थिति में थे।" यह कोविड-19 महामारी के दौरान टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है, जिसने भारत को स्वास्थ्य संकट का सामना करने में मदद की।
उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी की ताकत इस बात में निहित है कि वह चिकित्सा कर्मियों की दक्षता, प्रभावशीलता और उत्पादकता को कैसे बढ़ा सकती है और वे क्या प्रदान कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि टेक्नोलॉजी का उद्देश्य मानव हस्तक्षेप को प्रतिस्थापित करना नहीं, बल्कि उसे सशक्त बनाना है।
निष्कर्ष
सीआईआई के डिजिटल हेल्थ समिट 2025 में हुई चर्चाएं भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के डिजिटल परिवर्तन के प्रति सरकार और उद्योग की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। डॉ. वी.के. पॉल और एस. कृष्णन जैसे प्रमुख व्यक्तियों के बयानों से स्पष्ट है कि भारत नए स्वास्थ्य समाधानों को अपनाने, उनका सत्यापन करने और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए तैयार है। यह पहल भारत को 2047 तक एक विकसित और स्वस्थ राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां टेक्नोलॉजी स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ, कुशल और न्यायसंगत बनाएगी।