बांग्लादेश: पूर्व प्रधान न्यायाधीश एबीएम खैर-उल-हक राजद्रोह सहित तीन मामलों में हिरासत में
ढाका: बांग्लादेश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एबीएम खैर-उल-हक को राजद्रोह के आरोप सहित तीन आपराधिक मामलों में बृहस्पतिवार को हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी, जिससे बांग्लादेश के न्यायिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। हक 2010 से 2011 तक देश के 19वें प्रधान न्यायाधीश रहे थे और उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले सुनाने के लिए जाना जाता है।
ऐतिहासिक फैसले और हिरासत का कारण
एबीएम खैर-उल-हक की अगुवाई वाली पीठ ने 2011 में एक महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए बांग्लादेश की गैर-दलीय कार्यवाहक सरकार प्रणाली को असंवैधानिक घोषित किया था। यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ था और इसके दूरगामी परिणाम हुए थे।
ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस के उपायुक्त तालिब-उर-रहमान ने संवाददाताओं को बताया कि जासूसी शाखा के अधिकारियों ने 81 वर्षीय पूर्व न्यायाधीश को राजधानी के धनमंडी इलाके में उनके आवास से हिरासत में लिया। रहमान ने कहा, "हक तीन मामलों में आरोपी हैं। कानूनी प्रक्रिया चल रही है।" उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश को अदालत में पेश करने से पहले कम से कम एक मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है।
मामलों का विवरण और पृष्ठभूमि
उनके खिलाफ मामले अगस्त 2024 में विभिन्न वकीलों द्वारा दायर किए गए थे। ये मामले 5 अगस्त को स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (एसएडी) के नेतृत्व में हुए हिंसक आंदोलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के गिरने के ठीक बाद दायर किए गए थे। उस समय खैर-उल-हक विधि आयोग के अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे, हालांकि उन्होंने 13 अगस्त को पद से इस्तीफा दे दिया था।
ढाका में दायर पहले मामले में उन पर कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था से संबंधित 13वें संवैधानिक संशोधन को रद्द करने वाले फैसले को कथित रूप से बदलने में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया गया था। एक सप्ताह बाद, इसी मुद्दे पर राजधानी के बाहरी इलाके में स्थित नारायणगंज में उनके खिलाफ एक और मामला दर्ज कराया गया। इसके अलावा, ढाका में एक अन्य वकील द्वारा उनके कथित भ्रष्ट आचरण, अवैध और धोखाधड़ी वाले निर्णयों के संबंध में एक और मामला दर्ज कराया गया है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एबीएम खैर-उल-हक की हिरासत देश के राजनीतिक और न्यायिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटना है। उनके खिलाफ राजद्रोह और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जो उनके ऐतिहासिक फैसलों और हालिया राजनीतिक उथल-पुथल से जुड़े हैं। यह देखना बाकी है कि कानूनी प्रक्रिया किस दिशा में आगे बढ़ती है और इन मामलों का बांग्लादेश की राजनीति और न्यायपालिका पर क्या प्रभाव पड़ता है।