नई दिल्ली, 20 जुलाई। 'तेरा घाटा', 'एम्प्टीनैस' और 'मन मेरा' जैसे हिट गानों के लिए मशहूर इंडिपेंडेंट सिंगर और कंपोज़र गजेन्द्र वर्मा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका मानना है कि AI म्यूजिक इंडस्ट्री में सहायक तो हो सकता है, लेकिन इंसानी सोच, भावना और अनुभव की जगह कभी नहीं ले सकता।
गजेन्द्र वर्मा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब म्यूजिक इंडस्ट्री में AI के उपयोग को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कई लोग इसे भविष्य का म्यूजिक निर्माता मान रहे हैं, तो वहीं कुछ इसे कला के लिए खतरा भी मानते हैं।
आईएएनएस से बातचीत के दौरान गजेन्द्र वर्मा ने कहा, "इंडिपेंडेंट म्यूजिक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह व्यक्तिगत अनुभवों और सच्ची भावनाओं से जन्म लेता है। एआई भले ही तकनीकी तौर पर मदद कर दे, लेकिन वह कभी भी इन मानवीय भावनाओं को न तो पूरी तरह समझ सकता है और न ही बयां कर सकता है।"
वर्मा ने आगे कहा, "एआई एक दिलचस्प टेक्नोलॉजी है। यह म्यूजिक प्रोडक्शन, सॉन्ग राइटिंग और विजुअल्स जैसी चीजों को आसान बना सकता है, लेकिन म्यूजिक केवल टेक्नोलॉजी से नहीं बनता। उसमें दिल की बात, सच्ची फीलिंग्स और इंसान का जीवन अनुभव शामिल होता है।"
गजेन्द्र वर्मा ने खुद को एक "फीलिंग-बेस्ड" आर्टिस्ट बताया और कहा कि उनके गाने उनके दिल के बेहद करीब होते हैं। "चाहे प्यार हो, दिल टूटना हो या खुद को समझने की कोशिश, जो मैं महसूस करता हूं, वही गाने में ढल जाता है। शायद यही वजह है कि लोग मेरे गानों से जुड़ पाते हैं," उन्होंने कहा।
ट्रेंड्स को लेकर उन्होंने कहा, "मैंने कभी सोच-समझकर ट्रेंड फॉलो नहीं किया। जो फीलिंग आई, वही गाना बना दिया। आज जो लोग मुझसे जुड़ते हैं, वो मेरे सच्चे अनुभवों से जुड़ते हैं, न कि किसी ट्रेंड से।"
स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने कैसे म्यूजिक इंडस्ट्री को बदला है, इस पर भी वर्मा ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, "पहले इंडस्ट्री पर फिल्मी गानों और म्यूजिक लेबल्स का कब्जा था। अब हर कलाकार को मौका है कि वह अपना गाना सीधे लोगों तक पहुंचा सके।"
गजेन्द्र वर्मा ने खुद को एक स्वतंत्र कलाकार बताते हुए कहा कि वह अपने गानों को अपनी शर्तों पर बनाते और रिलीज करते हैं। "मैंने अपनी मेहनत से ऑडियंस बनाई है। अब मैं बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से काम कर सकता हूं। यही असली आज़ादी है," उन्होंने कहा।
TheTrendingPeople का अंतिम विचार:
गजेन्द्र वर्मा जैसे कलाकार यह साबित करते हैं कि तकनीक चाहे कितनी भी आगे बढ़ जाए, कला में भावनाओं की अहमियत कभी कम नहीं होगी। म्यूजिक सिर्फ साउंड नहीं होता, वह आत्मा की भाषा होती है – और यह भाषा इंसान ही सबसे बेहतर ढंग से बोल सकता है। AI आने वाले समय में सहायक ज़रूर होगा, लेकिन म्यूजिक की आत्मा हमेशा इंसानी दिल से ही निकलेगी।