UPSC CSE 2024: मजदूर के बेटे शकील अहमद बने IPS, चौथे प्रयास में हासिल की 506वीं रैंक | एक छोटे शहर से निकलकर बड़ी उड़ान की कहानी
जब हौसले बुलंद हों और मेहनत में कोई कमी न हो, तो मंज़िलें खुद-ब-खुद रास्ता दे देती हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है शाहजहांपुर ज़िले के तिलहर कस्बा स्थित इमली मोहल्ले के शकील अहमद की, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 506वीं रैंक हासिल कर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयन प्राप्त किया है।
जैसे ही मंगलवार को यूपीएससी का फाइनल रिजल्ट घोषित हुआ, दिल्ली में रह रहे शकील ने अपने परिजनों को फोन पर जानकारी दी—“मैं आईपीएस बन गया।” यह सुनते ही परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई और मोहल्ले में जश्न का माहौल छा गया।
बचपन संघर्षों में बीता, लेकिन सपने बड़े थे
शकील अहमद का जन्म एक साधारण लेकिन मेहनतकश परिवार में हुआ। उनके पिता हाजी तसब्बर हुसैन कभी पोटरगंज मंडी में पल्लेदारी (मजदूरी) किया करते थे ताकि अपने नौ बच्चों—छह बेटे और तीन बेटियों—का पालन-पोषण कर सकें। परिवार बड़ा था, संसाधन सीमित, लेकिन सपने कभी छोटे नहीं थे।
धीरे-धीरे परिवार ने बैटरी का कारोबार शुरू किया। शकील के भाई सगीर बताते हैं, “हम सबका सपना था कि हमारे परिवार से कोई एक दिन बड़ा अफसर बने। शकील हमेशा पढ़ाई में सबसे तेज था, इसलिए हम सबने उसकी पढ़ाई में पूरा सहयोग दिया।”
शिक्षा: छोटे शहर से लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी तक का सफर
शकील की शुरुआती पढ़ाई तिलहर के कैंब्रिज स्कूल से हुई। कक्षा 9 और 10 उन्होंने तक्षशिला पब्लिक स्कूल, शाहजहांपुर से की, और फिर अलीगढ़ में रहकर 12वीं पूरी की। इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) से बीटेक किया।
यहीं से उनका सपना आकार लेने लगा। शकील ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया रेजिडेंशियल कोचिंग सेंटर में दाखिला लिया और तैयारी शुरू की।
हार न मानने की मिसाल: चौथे प्रयास में मिली सफलता
शकील को सफलता एक बार में नहीं मिली। उन्होंने चार प्रयास किए—दो बार मेंस परीक्षा में और एक बार इंटरव्यू में असफल हुए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। चौथे प्रयास में उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें आईपीएस (Indian Police Service) के लिए चुना गया।
शकील कहते हैं, “मैंने कभी हार को अंत नहीं माना, बल्कि हर असफलता से कुछ नया सीखा और अगले प्रयास में उसे सुधारने की कोशिश की।”
घर लौटने की खबर पर छलक पड़े आंसू
दिल्ली से फोन पर जब शकील ने अपने परिवार को बताया कि वे अब आईपीएस अफसर बन गए हैं, तो माता-पिता और भाई-बहनों की आंखें खुशी से नम हो गईं। आसपास के लोगों को जैसे ही यह खबर मिली, परिवार को बधाई देने वालों की भीड़ लग गई। मोहल्ले में मिठाइयां बांटी गईं और लोग इस सफलता को पूरे इलाके की उपलब्धि बता रहे हैं।
सशक्त प्रेरणा: मेहनत, लगन और धैर्य का फल
शकील अहमद की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है, खासकर उन युवाओं के लिए जो सीमित संसाधनों के बीच बड़े सपने देखते हैं।
वे इस बात का प्रतीक हैं कि संघर्ष और समर्पण के दम पर कोई भी ऊंची से ऊंची मंज़िल हासिल की जा सकती है।
उनकी सफलता न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे शाहजहांपुर और उत्तर प्रदेश के लिए गर्व की बात है।
शकील अहमद की सफलता बताती है कि अगर मेहनत सच्ची हो, और हौसला कायम रहे, तो कोई भी मंज़िल नामुमकिन नहीं। एक मजदूर के बेटे से आईपीएस अफसर बनने तक की इस यात्रा ने साबित कर दिया कि सपना कोई भी हो, उसे साकार किया जा सकता है।