संसद के मानसून सत्र के बीच धनखड़ ने दिया इस्तीफा, अब सभी सांसद मिलकर चुनेंगे नया उपराष्ट्रपति, नितीश कुमार से लेकर हरिवंश तक के नाम चर्चा में फोटो : PTI
नई दिल्ली, 23 जुलाई — उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के दो दिन बाद चुनाव आयोग ने बुधवार को भारत के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संविधान के अनुसार, देश को जल्द से जल्द नया उपराष्ट्रपति मिलना चाहिए, और इसी दिशा में चुनाव आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
धनखड़ ने अपने पांच साल के कार्यकाल में से केवल तीन साल ही पूरे किए थे, लेकिन उनके उत्तराधिकारी को पूरा पांच साल का कार्यकाल मिलेगा। गृह मंत्रालय ने उनके इस्तीफे को औपचारिक रूप से अधिसूचित कर दिया है और चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनाव की तारीखों की घोषणा “बहुत जल्द” की जाएगी।
इस बीच, उपराष्ट्रपति का सरकारी आवास और कार्यालय जो सेंट्रल विस्टा योजना के तहत बनाए गए वीपी एन्क्लेव में स्थित है, अब जल्द ही नए उपराष्ट्रपति का इंतजार कर रहा है।
क्या कहते हैं चुनाव आयोग के नियम?
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव भारत के सभी सांसदों द्वारा किया जाता है। चुनाव आयोग ने एक प्रेस नोट जारी कर बताया कि इस चुनाव के लिए जरूरी सभी प्रारंभिक प्रक्रियाएं शुरू कर दी गई हैं। इसमें चुनावी कॉलेज की अंतिम सूची तैयार करना और रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति शामिल है।
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस्तीफा दिए जाने के बाद नए उपराष्ट्रपति का चयन जल्द से जल्द किया जाना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है।
कौन हो सकता है अगला उपराष्ट्रपति?
धनखड़ के उत्तराधिकारी को लेकर दिल्ली की सियासत में कई नामों की चर्चा जोरों पर है। अब तक चार प्रमुख नाम सामने आए हैं:
- नीतीश कुमार – बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार का नाम सबसे अधिक चर्चा में है। 74 वर्षीय नीतीश कुमार ने हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के साथ गठबंधन किया था और अब कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में नई युवा नेतृत्व को मौका देने के लिए वे दिल्ली आ सकते हैं।
- मनोज सिन्हा – जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, और पहले मोदी सरकार में मंत्री रहे मनोज सिन्हा एक संतुलित और अनुभवी नेता माने जाते हैं।
- वी.के. सक्सेना – दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना भी संभावित उम्मीदवारों में गिने जा रहे हैं, हालांकि उनका प्रशासनिक अनुभव राजनीतिक पृष्ठभूमि से थोड़ा अलग है।
- हरिवंश नारायण सिंह – राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश फिलहाल संसद सत्र के दौरान कार्यवाहक अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। वे जनता दल (यूनाइटेड) से राज्यसभा सांसद हैं और पहले भी उपसभापति पद पर रह चुके हैं।
अगर हरिवंश को उपराष्ट्रपति बनाया जाता है, तो वह पहले ऐसे उपसभापति होंगे जिन्हें सीधे उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
धनखड़ का अचानक इस्तीफा
जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन कार्यवाही की अध्यक्षता करने के कुछ ही घंटों बाद अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन उनके इस कदम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी।
धनखड़ राजस्थान के झुंझुनूं से आते हैं और वकालत, राजनीति और राज्यपाल जैसे जिम्मेदार पदों का लंबा अनुभव रखते हैं। वे 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं और कई बार राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ टकराव में भी आए।
उनके उपराष्ट्रपति बनने के बाद, संसद में कई बार उनकी कार्यप्रणाली को लेकर विपक्ष ने सवाल खड़े किए। यहां तक कि कुछ विपक्षी दलों ने उन्हें पक्षपाती बताते हुए उनके खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश भी की थी।
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनखड़ के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “धनखड़ जी को देश की सेवा के कई अवसर मिले और उन्होंने हर भूमिका में जिम्मेदारी से कार्य किया।” हालांकि, उनके इस्तीफे के समय और तरीके पर अब भी कई सवाल उठ रहे हैं।
विपक्ष ने भी इस्तीफे की टाइमिंग पर आपत्ति जताई है। जब सत्र का पहला दिन था और राष्ट्रपति का अभिभाषण होना था, ऐसे समय पर उपराष्ट्रपति का पद खाली हो जाना संसदीय परंपरा में अभूतपूर्व माना जा रहा है।
अब क्या होगा आगे?
अब चुनाव आयोग की अगली जिम्मेदारी है चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करना। जिस दिन यह अधिसूचना जारी की जाएगी, उसके कुछ सप्ताह के भीतर नामांकन, जांच, मतदान और परिणाम की पूरी प्रक्रिया संपन्न कर दी जाएगी।
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव गोपनीय बैलेट से किया जाता है और इसके लिए सांसदों को संसद भवन में ही वोट देना होता है। चूंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, इसलिए यह चुनाव न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि संसद की कार्यवाही पर भी इसका सीधा असर होता है।
निष्कर्ष
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने एक बार फिर से देश की शीर्ष संवैधानिक पदों की राजनीति को चर्चा में ला दिया है। जहां एक ओर बीजेपी अपने पत्ते छिपाए बैठी है, वहीं विपक्ष भी उम्मीदवार तय करने में जुट गया है। चुनाव आयोग की प्रक्रिया अब औपचारिक तौर पर शुरू हो चुकी है और जल्द ही भारत को एक नया उपराष्ट्रपति मिलेगा।