भारत का प्राइवेट सेक्टर जुलाई में मजबूत, मैन्युफैक्चरिंग PMI 17 साल के उच्चतम स्तर पर: HSBC रिपोर्ट
नई दिल्ली: भारत के प्राइवेट सेक्टर ने जुलाई महीने में मजबूत प्रदर्शन दर्ज किया है, जिसकी मुख्य वजह वैश्विक मांग और मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में आई तेजी है। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुए एचएसबीसी फ्लैश इंडिया कम्पोजिट परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में दी गई है, जो देश की आर्थिक प्रगति के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
पीएमआई में उछाल: 60.7 पर पहुंचा कंपोजिट इंडेक्स
एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) द्वारा संकलित एचएसबीसी फ्लैश इंडिया कंपोजिट पीएमआई जुलाई में 60.7 रहा है, जो कि जून में 58.4 था। यह वृद्धि दर्शाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में गति बनी हुई है और निजी क्षेत्र का प्रदर्शन मजबूत हो रहा है। पीएमआई का 50 से ऊपर होना विस्तार का संकेत देता है, और 60 से ऊपर का आंकड़ा मजबूत विस्तार को दर्शाता है।
मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई का ऐतिहासिक स्तर
इस वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का रहा है। मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इंडेक्स जून के 58.4 से बढ़कर जुलाई में 59.2 पर पहुंच गया। यह मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई का लगभग साढ़े 17 वर्षों का उच्चतम स्तर है, जो भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उछाल को दर्शाता है। यह 'मेक इन इंडिया' पहल और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों का परिणाम हो सकता है।
सर्विसेज पीएमआई में धीमी वृद्धि
हालांकि, सर्विसेज पीएमआई जुलाई में 59.8 रहा, जो जून के 60.4 से थोड़ा कम है। यह दिखाता है कि सर्विसेज सेक्टर की गतिविधियों में तेजी जारी है, लेकिन वृद्धि की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है। इसके बावजूद, यह आंकड़ा अभी भी मजबूत विस्तार को इंगित करता है, जो सेवा क्षेत्र की लचीलापन को दर्शाता है।
एचएसबीसी के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट की टिप्पणी
एचएसबीसी के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने इस मजबूत प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए कहा, "भारत का फ्लैश कंपोजिट पीएमआई जुलाई में 60.7 पर रहा। इस मजबूत प्रदर्शन की वजह कुल बिक्री, निर्यात ऑर्डर और उत्पादन स्तर में वृद्धि होना है। भारतीय मैन्युफैक्चरर्स ने तीनों ही मानकों के लिए सेवाओं की तुलना में तेज विस्तार दर दर्ज करते हुए अग्रणी स्थान हासिल किया।" यह दर्शाता है कि विनिर्माण क्षेत्र इस वृद्धि का मुख्य चालक रहा है।
उन्होंने आगे कहा, "भारत में निजी क्षेत्र की फर्मों को प्राप्त अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही की शुरुआत में तेजी से बढ़े। हालांकि, इस दौरान मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है क्योंकि जुलाई में इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क दोनों में वृद्धि हुई है।" यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है, क्योंकि बढ़ती इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क भविष्य में मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ा सकते हैं।
रोजगार सृजन और भविष्य की उम्मीदें
एचएसबीसी के अनुसार, भारतीय कंपनियां अगले 12 महीनों में उत्पादन वृद्धि को लेकर आशावादी बनी हुई हैं। यह व्यापारिक विश्वास और भविष्य के विकास की उम्मीदों को दर्शाता है।
नोट में बताया गया कि विशेष रूप से सेवा क्षेत्र में रोजगार में मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो दर्शाता है कि भारत के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज दोनों क्षेत्रों में विस्तार के साथ-साथ रोजगार सृजन भी बढ़ रहा है। यह बेरोजगारी को कम करने और कार्यबल को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
जहां वस्तु उत्पादकों ने मई के दौरान पिछले तीन महीनों में उत्पादन में सबसे धीमी वृद्धि दर्ज की, वहीं सर्विस प्रोवाइडर्स ने मार्च 2024 के बाद से सबसे तेज वृद्धि दर्ज की। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि की गति अलग-अलग हो सकती है, लेकिन समग्र प्रवृत्ति सकारात्मक है।
एचएसबीसी सर्वेक्षण के अनुसार, निगरानी की जा रही कंपनियों ने वृद्धि का श्रेय बढ़ती मांग, टेक्नोलॉजी में निवेश और क्षमताओं में विस्तार को दिया है। यह दर्शाता है कि डिजिटल परिवर्तन और बुनियादी ढांचे में निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
निष्कर्ष
जुलाई में भारत के प्राइवेट सेक्टर का मजबूत प्रदर्शन, विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई का लगभग साढ़े 17 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंचना, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक उत्साहजनक संकेत है। मजबूत वैश्विक मांग, बढ़ते निर्यात ऑर्डर और उत्पादन स्तर में वृद्धि देश के आर्थिक विकास को गति दे रही है। हालांकि, बढ़ती मुद्रास्फीति का दबाव एक चुनौती बनी हुई है, जिस पर नीति निर्माताओं को ध्यान देना होगा। रोजगार सृजन में वृद्धि और कंपनियों का भविष्य के प्रति आशावादी दृष्टिकोण भारत के लिए एक उज्ज्वल आर्थिक भविष्य का संकेत देता है।