बिहार में भवन निर्माण की गुणवत्ता जांच के लिए 4 नए उड़न दस्ते गठित
पटना, बिहार: बिहार सरकार राज्य में बड़े पैमाने पर हो रहे नए भवनों के निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इस कड़ी में पंचायतों में पंचायत सरकार भवन, सहकार भवनों के साथ ही अन्य जरूरी भवनों का भी निर्माण हो रहा है। इन भवनों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और भवनों की गुणवत्ता जांच के लिए सरकार ने नए सिरे से चार नए उड़न दस्तों का गठन किया है। वहीं, बिजली संबंधित कार्यों की मॉनिटरिंग के लिए अलग से एक दस्ता बनाया गया है। इस संबंध में भवन निर्माण विभाग की तरफ से आदेश भी जारी हो गया है।
औचक निरीक्षण करेंगे उड़न दस्ते
जानकारी के अनुसार, भवन निर्माण विभाग द्वारा जारी आदेश के तहत प्रत्येक उड़न दस्ते में चार-चार अधिकारियों को शामिल किया गया है। इन अधिकारियों में निदेशक, उप निदेशक, सहायक निदेशक और अन्य श्रेणी के पदाधिकारी भी शामिल हैं। बता दें कि पहले निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग के लिए तीन उड़न दस्ते गठित थे, लेकिन बीच में अधिकारियों के तबादले के कारण नए सिरे से नए दस्ते बनाए गए हैं।
इन उड़न दस्तों का मुख्य काम होगा कि वे नियमित रूप से किसी भी सरकारी इमारत के निर्माण का औचक निरीक्षण करेंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि निर्माण कार्य निर्धारित मानकों और गुणवत्ता के अनुरूप हो।
निर्माण सामग्री का करेंगे नमूना संग्रह
निरीक्षण कार्य के दौरान यह टीम देखेगी कि भवन निर्माण कार्यों में जो सामग्री उपयोग में लाई जा रही है, वह मानकों के अनुरूप है या नहीं। जरूरत पड़ने पर यह जांच टीम निर्माण सामग्री का नमूना भी ले सकेगी और इसे जांच के लिए अंचल स्तरीय प्रयोगशाला या फिर केंद्रीय प्रयोगशाला में भी भेज सकेगी।
यदि निर्माण कार्यों में देरी हो रही है, तो इसकी भी पड़ताल करेंगे कि देरी की वजह क्या है? इसकी जांच की रिपोर्ट बनाकर विभाग के वरीय अधिकारियों और मुख्य अभियंता सह आयुक्त को भी सौंपेंगे। ठीक इसी तरह, बिजली से संबंधित कार्यों के लिए गठित दस्ता भवन में बिजली से संबंधित काम की गुणवत्ता जांच करेगा, ताकि बिजली के काम में भी किसी तरह की लापरवाही न हो।
बिहार सरकार द्वारा भवन निर्माण की गुणवत्ता जांच के लिए चार नए उड़न दस्तों का गठन राज्य में पारदर्शिता और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पहल न केवल सरकारी भवनों की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी, बल्कि निर्माण कार्यों में होने वाली देरी और अनियमितताओं पर भी अंकुश लगाएगी। यह कदम राज्य के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे जनता को बेहतर और सुरक्षित सार्वजनिक भवन मिल सकेंगे।