नई दिल्ली, 12 मई (विशेष रिपोर्ट)। एक के बाद एक घटनाक्रमों और तीव्र सैन्य कार्रवाइयों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार रात 8 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे। यह संबोधन उस समय हो रहा है जब पूरा देश “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता को लेकर आश्वस्त है और पाकिस्तान को दी गई सैन्य चेतावनी की गूंज अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंच चुकी है। उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम मोदी इस संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी अहम जानकारियां साझा करेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीतिक दिशा और भविष्य की रणनीतियों का खाका पेश करेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में विदेशी पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। यह हमला न केवल निर्दोष लोगों की जान लेने वाला था, बल्कि भारत की संप्रभुता को चुनौती देने का दुस्साहस भी था। इसका जवाब भारत ने अपने सैन्य इतिहास की एक अहम कार्रवाई के रूप में “ऑपरेशन सिंदूर” के जरिये दिया।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना, थलसेना और विशेष बलों ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान के भीतर मौजूद आतंकी ठिकानों को अत्यंत सुनियोजित और सटीक तरीके से निशाना बनाया। भारतीय खुफिया एजेंसियों और ड्रोन सर्विलांस से प्राप्त ठोस सूचनाओं के आधार पर की गई इस कार्रवाई को अत्याधुनिक तकनीकों और संयुक्त रणनीति से अंजाम दिया गया।
आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट नीति
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की नीति स्पष्ट रही है — आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों के साथ किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जाएगी। भारत अब आतंकवाद के प्रति “रणनीतिक धैर्य” नहीं, बल्कि “रणनीतिक प्रतिक्रिया” की नीति पर काम कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर इसी नीति का परिचायक है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में कम-से-कम 18 आतंकी लॉन्चपैड्स, 6 हथियार डिपो और 4 आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है। इन ठिकानों पर जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों की मौजूदगी थी।
पाकिस्तानी हस्तक्षेप और भारत का जवाब
ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। लेकिन जब पाकिस्तानी सेना ने हस्तक्षेप करते हुए भारतीय वायुसेना के मिशनों पर फायरिंग शुरू की, तब भारत ने एक मजबूत जवाबी कार्रवाई की। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान के दो मिराज फाइटर जेट मार गिराए गए और उनके मलबे की तस्वीरें मीडिया के सामने रखी गईं।
भारतीय वायुसेना ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई पाकिस्तान की सेना के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंकवाद और उसके संरचनात्मक समर्थन के खिलाफ है। एयर मार्शल एके भारती ने मीडिया को बताया, "हमारा उद्देश्य स्पष्ट है — आतंक के संरचकों को खत्म करना। अगर पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों के बचाव में सामने आती है, तो उसका परिणाम उसे भुगतना होगा।"
सरकार की कूटनीतिक सक्रियता
भारत की इस सैन्य कार्रवाई को वैश्विक समर्थन भी मिला है। अमेरिका, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराया है। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भारत और पाकिस्तान दोनों पक्षों के नेताओं के साथ बातचीत की और तनाव को नियंत्रित करने में कूटनीतिक भूमिका निभाई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा कर इसे “शांति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़” करार दिया।
चीन, हालांकि, पाकिस्तान के पक्ष में दिखाई दिया, जिसने कूटनीतिक संतुलन को थोड़ा जटिल कर दिया। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी विदेशी दबाव में नहीं आएगा और आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति से नहीं हटेगा।
पीएम मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन: क्या उम्मीद करें?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संबोधन केवल सैन्य कार्रवाई की जानकारी देने तक सीमित नहीं रहेगा। उम्मीद की जा रही है कि वे इस मौके पर:
- ऑपरेशन सिंदूर के रणनीतिक और नैतिक आधार पर विस्तार से बात करेंगे,
- भारत की आतंरिक सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देंगे,
- पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देंगे कि सीमा पार से आतंकवाद का कोई भी प्रयास अब और सहन नहीं किया जाएगा,
- विपक्ष और मीडिया के सवालों पर जवाब देंगे जो इस अभियान की पारदर्शिता और असर को लेकर पूछे जा रहे हैं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया: एकता या आलोचना?
हालांकि इस सैन्य कार्रवाई के बाद देशभर में एकजुटता का माहौल बना, लेकिन विपक्ष की ओर से कुछ सवाल भी उठे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ऑपरेशन की सफलता पर सवाल नहीं उठाया, लेकिन यह मांग जरूर की है कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए, ताकि सरकार पूरे घटनाक्रम पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करे।
समाजवादी पार्टी, डीएमके और टीएमसी जैसी पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर सरकार से पारदर्शिता की मांग की है। साथ ही यह भी कहा गया है कि भारत की सुरक्षा नीति को लेकर राष्ट्रीय आम-सहमति होनी चाहिए।
जनता की प्रतिक्रिया और मीडिया की भूमिका
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर भारी चर्चा चल रही है। ट्विटर पर #OperationSindoor, #ModiStrikesBack और #SafeBorders ट्रेंड कर रहे हैं। आम नागरिक इस कार्रवाई को भारतीय सेना की क्षमता और सरकार की निर्णायक नीति के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं।
मीडिया ने भी इसे विस्तार से कवर किया है, लेकिन कुछ चैनलों द्वारा की गई “हाइपर-नेशनलिस्ट” रिपोर्टिंग को लेकर आलोचना भी हो रही है। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि सुरक्षा मामलों में संयम और तथ्यात्मक रिपोर्टिंग बेहद जरूरी है।
भविष्य की दिशा: क्या ये एक नया सुरक्षा सिद्धांत है?
भारत की सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाई को देखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि ऑपरेशन सिंदूर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में एक नया अध्याय है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि पहल करके खतरों को खत्म करने की रणनीति अपनाने को तैयार है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह “प्रोएक्टिव डिफेंस डॉक्ट्रिन” की ओर संकेत करता है, जिसमें भारत पहले खतरे की पहचान करेगा, फिर त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करेगा।
निष्कर्ष: अब क्या?
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रात 8 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे, तब न केवल देश की निगाहें उन पर होंगी, बल्कि दुनिया के अनेक देशों की खुफिया एजेंसियां भी उनके हर शब्द का विश्लेषण कर रही होंगी। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने एक संदेश तो स्पष्ट दे दिया है — आतंकवाद का अब एकमात्र उत्तर है “निर्णायक कार्रवाई।”
अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस सफलता को पारदर्शिता, जवाबदेही और सामूहिक राजनीतिक सहमति के साथ आगे बढ़ाए। कूटनीतिक मोर्चे पर रणनीतिक साझेदारियों को मजबूत करना, घरेलू राजनीतिक माहौल को स्थिर रखना और भारतीय सेना को और सक्षम बनाना अगला कदम होना चाहिए।