Bihar Election 2025: RJD ने पूर्व विधायक सीताराम यादव, उनके पुत्र राकेश रंजन और राजेश कुमार यादव को छह वर्षों के लिए निष्कासित किया
पटना, 8 नवंबर (Hindi.TheTrendingPeople.com): बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों पर सख्त कदम उठाते हुए पूर्व विधायक सीताराम यादव, उनके पुत्र राकेश रंजन उर्फ विमल यादव और बड़े बेटे राजेश कुमार यादव को छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
राजद की ओर से शुक्रवार देर शाम जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि तीनों नेताओं ने पार्टी की नीतियों का उल्लंघन किया और पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ काम करते हुए संगठन की छवि को नुकसान पहुंचाया। यह फैसला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के निर्देश पर लिया गया।
निष्कासन की वजह: निर्दलीय उम्मीदवारी और विरोधी प्रचार
राजद ने बताया कि खजौली विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलने पर पूर्व विधायक सीताराम यादव ने अपने पुत्र राकेश रंजन उर्फ विमल यादव को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया।
इसके बाद, उन्होंने अपने बड़े बेटे राजेश कुमार यादव के साथ मिलकर पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार ब्रजकिशोर यादव के खिलाफ प्रचार अभियान शुरू कर दिया।
राजद प्रवक्ता ने कहा,
“तीनों नेताओं ने न केवल पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ काम किया बल्कि सार्वजनिक मंचों पर पार्टी की छवि धूमिल करने वाली बातें भी कहीं। उन्होंने मतदाताओं में भ्रम फैलाया और असंसदीय भाषा का प्रयोग किया।”
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, सीताराम यादव ने अपने समर्थकों के साथ कई गांवों में बैठकें कीं और पार्टी नेतृत्व पर “टिकट वितरण में पक्षपात” का आरोप लगाया। वहीं, राकेश रंजन के निर्दलीय नामांकन के बाद खजौली विधानसभा क्षेत्र में राजद समर्थकों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए।
पार्टी चेतावनियों के बावजूद जारी रहा विरोध
राजद ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि तीनों नेताओं को कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधियां जारी रखीं।
“सीताराम यादव और उनके दोनों पुत्रों को बार-बार समझाया गया कि वे पार्टी के अनुशासन का पालन करें, लेकिन उन्होंने संगठन के हितों को नजरअंदाज करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार जारी रखा,” राजद के प्रदेश महासचिव ने बताया।
राजद ने इस कदम को संगठन की एकता और अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता बताया है। बयान में कहा गया कि तीनों की गतिविधियों से जनता में गलत संदेश जा रहा था और पार्टी की साख पर असर पड़ रहा था।
सीताराम यादव का राजनीतिक सफर और नाराजगी की वजह
सीताराम यादव, 2015 में खजौली विधानसभा सीट से राजद के टिकट पर विधायक चुने गए थे।
हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, 2025 के चुनाव में जब राजद ने ब्रजकिशोर यादव को उम्मीदवार बनाया, तो सीताराम यादव इससे नाराज हो गए।
उनके करीबियों का कहना है कि सीताराम का मानना था कि वे स्थानीय स्तर पर अधिक लोकप्रिय हैं और टिकट का हकदार उन्हें ही बनना चाहिए था।
उनके एक समर्थक ने बताया,
“सीताराम जी को टिकट नहीं मिलने से गहरा झटका लगा। उन्होंने पार्टी से बात करने की कोशिश की, लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्होंने अपने बेटे को मैदान में उतारने का फैसला किया।”
प्रशासन और स्थानीय नेतृत्व की प्रतिक्रिया
खजौली में प्रशासन ने राजनीतिक तनाव के मद्देनजर कानून-व्यवस्था पर कड़ी नजर रखी है।
स्थानीय प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए चुनाव आचार संहिता के तहत सभी राजनीतिक रैलियों और सभाओं पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
“हम सभी दलों को बराबरी का मौका देने के लिए सख्त नजर रख रहे हैं। किसी भी प्रकार की हिंसा या उकसावे की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी,” अधिकारी ने कहा।
वहीं, खजौली क्षेत्र में मतदाताओं के बीच इस निष्कासन को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली।
कुछ मतदाता इसे पार्टी की “अनुशासन बहाली की जरूरत” बता रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि राजद को “वरिष्ठ नेताओं को सम्मानपूर्वक समझौते का अवसर देना चाहिए था।”
पार्टी के भीतर संदेश और पिछली समान घटनाएँ
यह पहली बार नहीं है जब राजद ने इस तरह की सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की हो।
2020 विधानसभा चुनावों के दौरान भी पार्टी ने कुछ नेताओं को बगावत और निर्दलीय उम्मीदवारी के कारण निष्कासित किया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई आगामी चुनावों में अनुशासन कायम करने और “टिकट बंटवारे से उपजे असंतोष” को नियंत्रित करने का संकेत है।
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार के अनुसार,
“यह कदम राजद के अंदरूनी असंतोष को नियंत्रित करने का प्रयास है। पार्टी चाहती है कि चुनाव से पहले किसी भी तरह की बगावत को सख्ती से रोका जाए।”
चुनाव पर असर: स्थानीय और राज्यस्तर पर प्रभाव
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि खजौली क्षेत्र में यह निर्णय राजद के वोट बैंक को अस्थायी रूप से प्रभावित कर सकता है।
हालांकि, पार्टी संगठन मानता है कि अनुशासनहीनता पर समझौता नहीं किया जा सकता, भले ही इसका अल्पकालिक राजनीतिक नुकसान क्यों न हो।
राजद प्रवक्ता ने कहा,
“हमारे लिए पार्टी की विचारधारा और एकता सर्वोपरि है। जो भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होंगे, उनके खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।”
राजनीतिक रूप से, यह कदम लालू यादव के नेतृत्व में राजद के केंद्रीकृत नियंत्रण और सख्त अनुशासन नीति को और मजबूत करता है, जो 2025 के चुनावों में संगठन की दिशा तय करेगा।
hindi.TheTrendingPeople.com की राय में
राजद की यह कार्रवाई बिहार की राजनीति में एक स्पष्ट संदेश देती है — कि अनुशासन और पार्टी लाइन से विचलन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हालांकि, यह निर्णय अल्पकालिक रूप से कुछ स्थानीय समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह कदम संगठन की विश्वसनीयता और अनुशासन को पुनर्स्थापित करने में सहायक हो सकता है।
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में यह देखना दिलचस्प होगा कि राजद इस सख्त नीति के साथ अपने संगठन को कैसे मजबूत बनाता है और क्या यह रणनीति उसे मतदाताओं के बीच एक एकजुट और दृढ़ पार्टी के रूप में स्थापित करने में मदद करती है।
