नई दिल्ली, द ट्रेंडिंग पीपल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जुलाई से ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। इस अहम विदेश दौरे का मकसद व्यापार, निवेश, रक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाई देना है। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका को और मजबूत कर रहा है।
यात्रा के पहले चरण में प्रधानमंत्री मोदी लंदन पहुंचेंगे जहां वह हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने सर कीयर स्टॉर्मर से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों के तमाम पहलुओं पर चर्चा होगी। इसमें व्यापार, निवेश, रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन, तकनीकी नवाचार और वैश्विक मुद्दों पर साझा रणनीति भी शामिल होगी। यह पीएम मोदी की ब्रिटेन की चौथी यात्रा होगी और नई सरकार के गठन के बाद उनकी पहली मुलाकात स्टॉर्मर से होगी।
विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री मोदी की लंदन में महाराजा चार्ल्स तृतीय से भी मुलाकात की संभावना है। उनके साथ भारत और ब्रिटेन के बीच सांस्कृतिक, शैक्षणिक और जनता से जनता के रिश्तों को मजबूत करने पर भी बातचीत हो सकती है।
ब्रिटेन दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी मालदीव के लिए रवाना होंगे। वह 25 से 26 जुलाई तक मालदीव की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान वह मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। यह यात्रा मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के निमंत्रण पर हो रही है।
मालदीव में पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच 'व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी' पर चर्चा होगी। दोनों नेता इस साझेदारी के तहत जारी परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे और आने वाले वर्षों के लिए रणनीतिक दिशा तय करेंगे। भारत और मालदीव के बीच पिछले कुछ वर्षों में सैन्य सहयोग, बंदरगाह निर्माण, तट रक्षक क्षमता, जलवायु-संवेदनशील परियोजनाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र में मजबूत संबंध बने हैं।
मालदीव की इस यात्रा के ज़रिए भारत अपने ‘पड़ोसी पहले’ नीति और ‘विजन सागर’ यानी "क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक सहयोग" को और मजबूत करता दिखेगा। विदेश मंत्रालय ने इसे भारत-मालदीव संबंधों को नई दिशा देने वाला अवसर बताया है।
The Trending People का निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन और मालदीव की यह विदेश यात्रा भारत की विदेश नीति में रणनीतिक संतुलन का परिचायक है। एक ओर वह ब्रिटेन के साथ अपने आर्थिक और तकनीकी संबंधों को मजबूत करने जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मालदीव जैसे समुद्री पड़ोसी देश के साथ गहरे रक्षा और रणनीतिक हितों को सहेजने का प्रयास होगा। यह दौरा न केवल कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को भी दर्शाता है।
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