कारगिल विजय दिवस 2025: बर्फीली चोटियों पर वीरता की अमर गाथा
"युद्ध वो नहीं जिसमें सिर्फ हथियार चलते हैं, वो वो होता है जहाँ जज़्बा हर गोली से भारी पड़ता है।"
26 जुलाई का दिन भारतवासियों के लिए गर्व, सम्मान और भावनाओं से ओत-प्रोत दिन होता है — कारगिल विजय दिवस। साल 1999 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के अंतर्गत कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।
कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि
- समयावधि: मई 1999 - जुलाई 1999
- स्थान: कारगिल, द्रास, बटालिक, टोलोलिंग, टाइगर हिल
- शत्रु रणनीति: पाकिस्तान द्वारा 'ऑपरेशन बद्र' के तहत नियंत्रण रेखा पार कर सैनिकों और आतंकियों की घुसपैठ
शुरुआत: जब पाकिस्तान ने तोड़ा भरोसा
कारगिल युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान द्वारा सीजफायर उल्लंघन करते हुए की गई। उसने घुसपैठियों को नियंत्रण रेखा पार भेजा, जो बाद में भारतीय क्षेत्रों में रणनीतिक चोटियों पर काबिज हो गए।
मई 1999 में भारतीय गश्ती दल को पाक घुसपैठियों की मौजूदगी का पता चला। कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथी पकड़े गए और शहीद हुए, जो युद्ध की क्रूर शुरुआत थी।
ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन सफेद सागर
- ऑपरेशन विजय: भारतीय थल सेना का अभियान — दुर्गम चोटियों को मुक्त कराया गया
- ऑपरेशन सफेद सागर: भारतीय वायुसेना का समर्थन अभियान — हवाई हमलों से दुश्मन की रणनीति को तोड़ा गया
मुख्य जीतें और निर्णायक मोर्चे
तिथि | स्थान | विवरण |
---|---|---|
13 जून | तोलोलिंग | पहली बड़ी विजय, युद्ध का रुख बदला |
20 जून | पॉइंट 5140 | ले. कर्नल योगेश जोशी के नेतृत्व में कब्जा |
29 जून | थ्री पिंपल्स | दो दिवसीय संघर्ष में कब्जा |
4 जुलाई | टाइगर हिल | 11 घंटे की लड़ाई के बाद भारतीय तिरंगा फहराया |
7 जुलाई | पॉइंट 4875 | कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता; निर्णायक जीत |
25 जुलाई | पाकिस्तानी सेना पीछे हटी | |
26 जुलाई | भारत की ऐतिहासिक विजय, कारगिल मुक्त |
युद्ध के नायक जिन्हें देश कभी नहीं भूलेगा
- कैप्टन विक्रम बत्रा (PVC) – “ये दिल मांगे मोर” का नारा आज भी गूंजता है
- कैप्टन मनोज पांडे (PVC) – वीरता की मिसाल
- ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव (PVC) – दुश्मन की मशीनगन ने भी नहीं रोक पाया
- नायक दिगेंद्र कुमार – अकेले दुश्मनों के बंकर तबाह कर दिए
बलिदान का मूल्य
- 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए
- 1363 जवान घायल हुए
- इस युद्ध ने न केवल सैन्य ताकत बल्कि भारत की राजनीतिक दृढ़ता और कूटनीति को भी दिखाया।
कारगिल विजय दिवस क्यों है विशेष?
- यह युद्ध परंपरागत युद्ध नहीं था — यह घाटियों, बर्फीली चोटियों, ऑक्सीजन की कमी और दुश्मन के छिपे ठिकानों में लड़ा गया।
- भारत ने आंतरराष्ट्रीय दबाव के बिना, सिर्फ अपनी सैन्य क्षमता और राजनीतिक इच्छाशक्ति से यह युद्ध जीता।
- यह युद्ध इस बात का उदाहरण बन गया कि जब देश एकजुट होता है, तो कोई भी दुश्मन टिक नहीं सकता।
The Trending People की श्रद्धांजलि:
आज, जब हम 2025 में खड़े हैं, कारगिल विजय दिवस सिर्फ एक ऐतिहासिक तारीख नहीं है — यह राष्ट्रभक्ति, बलिदान और अखंड भारत की भावना का प्रतीक है।