मालदीव की स्वतंत्रता पर पीएम मोदी की ऐतिहासिक यात्रा: रणनीतिक साझेदारी को मिला नया आयाम
नई दिल्ली/माले - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कर भारत-मालदीव संबंधों को नई ऊंचाई दी। यह दो दिवसीय राजकीय यात्रा, जो शनिवार को संपन्न हुई, ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को और सशक्त किया है।
पीएम मोदी की माले यात्रा के दौरान मालदीव की राजधानी में स्थित प्रतिष्ठित 'रिपब्लिक स्क्वायर' में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में वे मुख्य अतिथि बने। इससे पहले, मोदी मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू, उपराष्ट्रपति उज हुसैन मोहम्मद लतीफ और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद से मुलाकात कर द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कर चुके थे।
प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में लिखा, “हमारे देश बुनियादी ढांचे, तकनीक, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं। यह हमारे लोगों के लिए काफी फायदेमंद है।” उन्होंने मालदीव को स्वतंत्रता की हीरक जयंती पर शुभकामनाएं भी दीं।
रणनीतिक साझेदारी की दिशा में कई अहम फैसले
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच चार समझौता ज्ञापनों (MoUs) और तीन रणनीतिक साझेदारियों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत शुरू करने की भी घोषणा की।
राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी का यहां स्वागत करना मेरे लिए गर्व की बात है। हमारे बीच उपयोगी संवाद हुआ और हमने कई अहम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।”
भारत-मालदीव: एक भरोसेमंद भागीदारी
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि मालदीव के उपराष्ट्रपति लतीफ ने संकट के समय भारत द्वारा दी गई मदद का आभार जताया। लतीफ ने कहा कि भारत के साथ औपचारिक राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी का दौरा ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण है।
भारत पहले से ही मालदीव के लिए विश्वसनीय और त्वरित सहायता प्रदान करने वाला पड़ोसी रहा है। चाहे कोरोना काल हो या फिर किसी प्राकृतिक आपदा का समय, भारत ने हर बार मालदीव को त्वरित राहत दी है।
चीन को मिला सख्त संदेश
दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रपति मुइज्जू अपने चुनावी अभियान में ‘इंडिया आउट’ के नारे से चर्चा में आए थे और चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी को मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में आमंत्रित करना बीजिंग के लिए एक कड़ा संदेश है। यह स्पष्ट करता है कि मालदीव पूरी तरह चीन के प्रभाव में नहीं है और भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को लेकर गंभीर है।
इस राजकीय यात्रा से यह संदेश भी गया कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा का प्रमुख भागीदार बना रहेगा।
TheTrendingPeople की राय:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा न सिर्फ एक औपचारिक राजकीय दौरा थी, बल्कि यह एक शक्तिशाली कूटनीतिक संकेत भी था। चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच मालदीव द्वारा भारत को प्राथमिकता देना हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूती प्रदान करता है। यह दौरा दिखाता है कि भारत न केवल एक रणनीतिक साझेदार है, बल्कि संकट में साथ खड़ा रहने वाला विश्वसनीय मित्र भी है। आने वाले समय में भारत और मालदीव के संबंध और अधिक व्यापक और प्रभावशाली हो सकते हैं, बशर्ते दोनों देश आपसी भरोसे और विकास की भावना से आगे बढ़ें।